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महा मोग्गल्लान शांति पदयात्रा का आयोजन

बुधवार अग्रहायण अमावस्या के अवसर पर नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय, नालंदा द्वारा धम्मसेनापति महा मोग्गल्लान के 2512 वें परिनिर्वाण दिवस पर 16वीं महा मोग्गल्लान शांति पदयात्रा का आयोजन किया गया.

प्रतिनिधि, राजगीर.

बुधवार अग्रहायण अमावस्या के अवसर पर नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय, नालंदा द्वारा धम्मसेनापति महा मोग्गल्लान के 2512 वें परिनिर्वाण दिवस पर 16वीं महा मोग्गल्लान शांति पदयात्रा का आयोजन किया गया. पदयात्रा का नेतृत्व कुलपति प्रो सिद्धार्थ सिंह ने किया. यह पदयात्रा जुआफरडीह स्तूप पर संपन्न हुई. चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार महा मोग्गल्लान का परिनिर्वाण स्थल यह माना जाता है. भगवान बुद्ध के प्रमुख शिष्य, नालंदा के गौरव और धम्मसेनापति महा मोग्गल्लान ने बुद्धत्व के संदेश को प्रसारित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. बिहार सरकार द्वारा उनके परिनिर्वाण दिवस को ‘महामोग्गल्लान दिवस’ के रूप में मान्यता देने से इस विरासत को और अधिक सम्मान मिला है. इस अवसर पर कुलपति प्रो. सिद्धार्थ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि महा मोग्गल्लान दिव्य शक्तियों से सम्पन्न अद्वितीय शिष्य थे. उन्होंने पालि साहित्य में वर्णित छह प्रकार के अभिज्ञा सिद्ध की थीं. उन्होंने बताया कि महा मोग्गल्लान के पास दिव्य सामर्थ्य होते हुए भी उन्होंने कभी उनका दुरूपयोग नहीं किया, क्योंकि भगवान बुद्ध ने ऐसी शक्तियों के प्रयोग को वर्जित किया था. कुलपति ने बौद्ध देशों में महा मोग्गल्लान के सम्मान का उल्लेख करते हुए स्थानीय लोगों से उनके कृतित्व व चरित्र को आत्मसात करने की अपील की. उन्होंने कहा कि जुआफरडीह क्षेत्र में प्राप्त अवशेष नालंदा की प्राचीन बौद्ध विरासत को प्रमाणित करते हैं. यह स्थान उनके पूर्वजों से जुड़े हैं. भविष्य में यह स्थान अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि नव नालंदा महाविहार के स्थापना दिवस समारोहों के बीच भी इस आयोजन को पूर्ण श्रद्धा से मनाया जाना विश्वविद्यालय के बौद्ध परंपरा के प्रति समर्पण को दर्शाता है. नव नालंदा महाविहार ने 2010 से उनके 2497वें परिनिर्वाण वर्ष से इस शांति पदयात्रा की शुरुआत की थी. लगभग दो किलोमीटर की यात्रा के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ भिक्षुओं के मंगलाचरण से हुआ. कार्यक्रम का संचालन प्रो. राणा पुरुषोत्तम कुमार सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मुकेश कुमार वर्मा ने किया. इस पदयात्रा में देशी-विदेशी भिक्षु, महाविहार के विद्यार्थी और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में सहभागी बने.

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