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किसानों को नहीं मिल रहा प्याज का उचित दाम

जिले में पिछले माह कई दिनों तक हुई बारिश से प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ. बारिश की पानी की प्याज की फसलें खेतों में ही सड़ने लगी तो किसानों ने उसे निकाला.

शेखपुरा. जिले में पिछले माह कई दिनों तक हुई बारिश से प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ. बारिश की पानी की प्याज की फसलें खेतों में ही सड़ने लगी तो किसानों ने उसे निकाला. लेकिन उसकी गुणवता खराब होने से थोक विक्रेता किसानों को बाजिव दाम नही दे रहे हैं. जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है. इससे किसानों को दोहरा नुकसान हो रहा है. जिले में बड़े पैमाने पर किसानों के द्वारा प्याज की फसल लगाई गई थी. कई किसानों के प्याज खेत में ही खराब होकर सड़ने लगी. किसानों का कहना है कि पहले किसान भाव नहीं मिलने पर प्याज का संग्रह कर लेता था.लेकिन अब प्याज की फसल खराब होने से प्याज संग्रह के लायक भी नहीं बचा है. इससे किसानों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है. इस साल प्याज की अच्छी पैदावार हुई थी. बारिश ने नुकसान पहुंचाया फिर भी गोदाम में लाखों टन प्याज प्याज गोदामों में भरा पड़ा है.आज से 10 साल पहले थोक भाव प्याज 8 से 9 रुपए किलो बिक रहा था. यही भाव आज भी किसानों को मिल रहा है.

उत्पादन में बढ़ा लागत, नहीं मिल रहा कीमत

जबकि इन 10 बर्षों में डीजल के भाव काफी बढ़े है. इसके चलते परिवहन खर्च में बढ़ोतरी हुई है.मजदूरों के मजदूरी में भी वृद्धि हुई है. खाद,पेस्टीसाइड का खर्च बढ़ा हुआ है.दूसरी तरफ प्याज उत्पादक किसानों को उचित कीमत नहीं मिल रही है. कर्ज लेकर किसान प्याज की फसलों को गोदामों में स्टॉक किया हुआ है.इन किसानों की आर्थिक हालत बहुत खराब हो गई है.प्याज उत्पादक किसान खून के आंसू रो रहे हैं और सरकार मूक दर्शक बनी हुई है.सरकार को समय रहते विदेशों में प्याज निर्यात की ठोस नीति बनाने और उसपर अमल करने की जरुरत है, अन्यथा की किसानों की जमीं बिक जायगी.सरकार को ऐसे सभी प्रभावित किसानों को तत्काल फसल नुकसान का मुआवजा देने की मांग की.

क्या कहते हैं प्याज उत्पादक

फोटो 06.रामलखन यादव.

डीहकोसुम्भा गांव के किसान राम लखन यादव ने बताया कि तीन बीघे प्याज की फसल लगाई थी. खेतों में पैदावार भी ठीक ठाक हुई.लेकिन बेमौसम की बारिश होने से प्याज को क्षति पहुंची. बारिश भी थोड़े –थोड़े अंतराल में पांच बार बारिश हो गई. इससे प्याज की फसल को ज्यादा क्षति हुई है.

फोटो 07. शिवशंकर पंडित.

डीहकुसुम्भा गांव के किसान शिवशंकर पंडित ने बताया कि बेमौसम बारिश में प्याज की फसल सड़ने लगी. इसकी छंटाई और भंडारण में अतिरिक्त मजदूरी लग गई.फिर भी रेट कम मिल रहा है. जिससे किसानों को फायदा नहीं हो रहा है.लागत भी निकालना मुश्किल पड़ रहा है.

गुलाबी रंग और अच्छी क्वालिटी के लिये मशहुर है शेखपुरा का प्याज

शेखपुरा का प्याज अपने गुलाबी रंग और अच्छी क्वालिटी के लिये विदेशों तक मशहूर है. यहां का प्याज पहले पाकिस्तान और बांग्लादेश तक निर्यात किया जाता रहा है. लेकिन, कुछ साल से सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी है. जिले का अरियरी प्रखंड और घाटकोसुम्भा इन दिनों प्याज उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. जिले में दो हजार दस हेक्टेयर में 28 हजार 459 मीट्रिक टन प्याज उत्पादन का उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित है.

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