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तिलैया-राजगीर-बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

तिलैया–राजगीर–बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण के लिए सितंबर 2025 में रेलवे मंत्रालय द्वारा 2192 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गयी है.

राजगीर. तिलैया–राजगीर–बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण के लिए सितंबर 2025 में रेलवे मंत्रालय द्वारा 2192 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गयी है. 104 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट को चार साल यानि 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. दोहरीकरण से नालंदा, पटना, गया और नवादा जिलों के साथ 1434 गांवों के 13.46 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा. बुद्ध सर्किट, जैन सर्किट और मखदूम सर्किट के धार्मिक-पर्यटक स्थलों तक आवागमन आसान होगा. इससे ट्रेन परिचालन तेज, सुरक्षित और सुगम बनेगा. रेलवे के अनुसार हॉल्ट स्टेशनों पर प्लेटफार्म 450 मीटर और क्रॉसिंग स्टेशनों पर 600 मीटर लंबे बनाये जायेंगे. दोहरीकरण से पूरे रेलखंड की क्षमता, गति और कनेक्टिविटी में व्यापक सुधार होने की उम्मीद है. रेलखंड के दोहरीकरण से व्यापार और यात्रा को मिलेगी नई रफ्तार : इस रेलखंड का दोहरीकरण न सिर्फ यात्रियों, बल्कि व्यापार के लिए भी अत्यंत उपयोगी साबित होगा. कोयला, सीमेंट, ईंधन और खाद्यान्न जैसे महत्वपूर्ण सामानों का परिवहन कम समय में संभव होगा. अनुमान है कि माल ढुलाई में प्रतिवर्ष 26 मिलियन टन की वृद्धि होगी, जिससे व्यापार को नई गति मिलेगी. सरकार का आकलन है कि परियोजना से प्रतिवर्ष पांच करोड़ लीटर तेल आयात में कमी और लगभग 24 करोड़ किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन घटेगा, जो एक करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान की सोच के अनुरूप क्षेत्रीय विकास का आधार बनेगी. इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. लोगों के जीवन में सुधार आयेगा. दोहरीकरण से एनटीपीसी बाढ़ को झारखंड से कोयला लाने में सहूलियत होगी. साथ ही पटना, नालंदा और नवादा के यात्रियों के लिए झारखंड और पश्चिम बंगाल की यात्रा अधिक सरल और सुगम हो जायेगी. 75 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण और 31 अंडरपास बनेंगे : मुख्य अभियंता अनिल कुमार ने बताया कि तिलैया–राजगीर–बख्तियारपुर रेलखंड के दोहरीकरण के लिए लगभग 75 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी. परियोजना के तहत रेलखंड पर स्थित 31 रेल गुमटियों को अंडरपास में बदला जायेगा. राजगीर, बिहारशरीफ और हरनौत को छोड़कर अन्य सभी स्टेशनों व हॉल्टों पर 25 फीट ऊंचे ओवरब्रिज बनाए जाने की योजना है. यात्रियों की सुविधा के लिए हर स्टॉपेज पर पेयजल, शौचालय और शेड की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जायेगी. इस रेलखंड में 17 बड़े और 264 छोटे पुल–पुलियों का निर्माण होगा. वर्तमान में जहां 36 मोड़ हैं, वहीं दोहरीकरण के बाद 56 स्थानों पर मोड़ बनेंगे. अभी इस मार्ग पर अधिकतम 24 बोगियों वाली ट्रेनें चलती हैं, लेकिन दोहरीकरण के बाद तिलैया, नटेसर, राजगीर, नालंदा, बिहारशरीफ और हरनौत जैसे बड़े स्टेशनों के प्लेटफार्म 1750 मीटर लंबे बनाये जायेंगे. इन स्टेशनों पर मालगाड़ियों की सेंटिंग और हॉल रोड की व्यवस्था भी विकसित की जायेगी. इससे दो मालगाड़ियों को एक इंजन से ले जाना संभव हो सकेगा.

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