Bihar: बिहार के भोजपुर जिले में जमीन रजिस्ट्री घोटालों की फेहरिस्त में एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है. बिहिया अंचल से जुड़े इस ताजे मामले में जमीन कारोबारी फिरोज अंसारी ने सिस्टम की खामियों का ऐसा फायदा उठाया कि सरकार को ₹13.79 लाख की चपत लग गई और किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई.
रजिस्ट्री से पहले बदल गया मौजा, दाखिल-खारिज के बाद सामने आया खेल
मामले की शुरुआत एक जमीन की रजिस्ट्री से हुई जिसमें दस्तावेज़ों में धरहरा मौजा की ज़मीन को बिहिया मौजा बताकर रजिस्ट्री करा दी गई. इतना ही नहीं, बाद में अंसारी ने कोर्ट में एक समझौते के बहाने इस ‘गलती’ को वैधता दिलवा दी और दाखिल-खारिज भी करवा लिया.
अब जब यह घोटाला उजागर हुआ, तो जांच में साफ हो गया कि असली ज़मीन का स्थान, खेसरा संख्या और थाना क्षेत्र सब कुछ कागज़ों में हेर-फेर कर बदला गया था. इस एक चाल से सरकारी खजाने को 13 लाख 79 हजार रुपये का नुकसान पहुंचा.
जमीन वही, गांव दूसरा — कागज़ों में रचा गया फर्जीवाड़े का तानाबाना
शिकायतकर्ता अविनाश कुमार शर्मा की अर्जी पर जब अंचल अधिकारी ने पूरे मामले की पड़ताल करवाई, तब इस कागजी खेल की असलियत सामने आई. जांच रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि कोर्ट के आदेश की आड़ में अलग मौजा की जमाबंदी करा दी गई, जो पूरी तरह गैरकानूनी है. यह घोटाला केवल एक व्यक्ति द्वारा किया गया जालसाजी का मामला नहीं दिखता, बल्कि इसमें निबंधन कार्यालय और अंचल के कुछ कर्मियों की भूमिका को भी संदेह से देखा जा रहा है.
अब सरकार ने थामा डंडा: फिरोज अंसारी पर 13.79 लाख की वसूली का नोटिस जारी
जैसे ही राजस्व विभाग को इस घोटाले की जानकारी मिली, जिला अवर निबंधन कार्यालय, आरा ने फिरोज अंसारी को तत्काल 13 लाख 79 हजार 230 रुपये सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश भेजा है. विभाग का कहना है कि इस राशि की चोरी ‘जानबूझकर की गई राजस्व हानि’ की श्रेणी में आती है और इसे किसी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
जांच के घेरे में अफसर: क्या सिर्फ एक व्यक्ति कर सकता है इतनी बड़ी हेराफेरी?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी साजिश क्या सिर्फ एक जमीन कारोबारी अंजाम दे सकता है? मौजा बदलवाकर रजिस्ट्री कराना, कोर्ट से आदेश लेना और फिर दाखिल-खारिज करवा लेना ये सब बिना भीतर के लोगों की जानकारी और सहयोग के असंभव लगता है. स्थानीय स्तर पर मांग उठ रही है कि पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराई जाए ताकि यह पता चल सके कि किन अधिकारियों ने आंखें मूंद लीं या खुद इस खेल में शामिल रहे.
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जमीन कारोबार में जवाबदेही की दरकार: आम जनता को कौन बचाएगा?
यह घोटाला सिर्फ राजस्व चोरी का नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही के गिरते स्तर का आईना है. जब सरकारी कार्यालयों में कागज़ों से गांव बदल दिए जाएं और उसकी भनक तक न लगे, तो आम जनता को अपनी जमीन की हिफाजत कैसे होगी?