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कुंडेश्वर शिव मंदिर : लगता है भक्तों का मेला

ऐतिहासिक धरोहर पर नहीं दिया जा रहा है ध्यान शाहपुर : हिंदुओं की धार्मिक आस्था का केंद्र प्रखंड का कुंडेश्वर शिवमंदिर पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. यह मंदिर स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है. शताब्दियों से प्रत्येक वर्ष सावन व फागुन माह की शिवरात्रि के दिन यहां मेला […]

ऐतिहासिक धरोहर पर नहीं दिया जा रहा है ध्यान
शाहपुर : हिंदुओं की धार्मिक आस्था का केंद्र प्रखंड का कुंडेश्वर शिवमंदिर पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. यह मंदिर स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है.
शताब्दियों से प्रत्येक वर्ष सावन व फागुन माह की शिवरात्रि के दिन यहां मेला लगता है, जिसकी सरकार द्वारा बंदोबस्ती भी की जाती है. बावजूद इसके दर्शनार्थियों को मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं. मंदिर की बनावट ही इसको पुरातन मंदिरों की श्रेणी में खड़ा करती है.
कहां अवस्थित है मंदिर : कुंड़वा शिव मंदिर भोजपुर जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी पश्चिम आरा-बक्सर मुख्य मार्ग एनएच 84 से बिल्कुल सटे उत्तर दिशा में अवस्थित है. शाहपुर प्रखंड मुख्यालय से लगभग तीन किलोमीटर पूरब दिशा में यह मंदिर है.
किसने बनाया यह मंदिर : किंदवंतियों के अनुसार यह मंदिर राजा वाणासुर द्वारा बनवाया गया था. वाणासुर इसी स्थान पर आकर गंगा नदी के किनारे तपस्या करता था. छठी शताब्दी के आसपास महाकवि वाणभट्ट द्वारा रचित हर्ष में यहां गंगा नदी होने का प्रमाण मिलता है.
गंगा नदी के किनारे वाणासुर ने तपस्या की. इसके कुछ वर्षों बाद यहां महायज्ञ करने की ठानी और यज्ञ के लिए हवन कुंड की खुदाई होने लगी. इसी खुदाई के दौरान श्रमिकों का फावड़ा व कुदाल शिवलिंग की आकृति वाले पत्थर से टकराया और उस शिवलिंग से खून बहने लगा. खून से लथपथ शिवलिंग को बाहर रखा गया और इसकी सूचना वाणसुर को दी गयी. वाणासुर द्वारा रक्तरंजीत शिवलिंग की स्थापना की गयी. यह शिवलिंग हवन कुंड से मिला था, इसलिए इसे कुंडेश्वर शिव के नाम से जाना जाता है.

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