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टूटते परिवार को मिल गया नया जीवन

सफलता शराबबंदी की : कहानी आरा से आरा. सदर अस्पताल के नशामुक्ति केंद्र में 20 अप्रैल 2016 को तरी मुहल्ला के मनोज को इलाज के लिए भरती कराया गया था, तब मनोज की स्थिति ऐसी थी कि वह अस्पताल पहुंचते ही चिल्ला उठा था, दारू दो, दारू दो और आंखें टेढ़ी हो जाती थीं. इसके […]

सफलता शराबबंदी की : कहानी आरा से
आरा. सदर अस्पताल के नशामुक्ति केंद्र में 20 अप्रैल 2016 को तरी मुहल्ला के मनोज को इलाज के लिए भरती कराया गया था, तब मनोज की स्थिति ऐसी थी कि वह अस्पताल पहुंचते ही चिल्ला उठा था, दारू दो, दारू दो और आंखें टेढ़ी हो जाती थीं. इसके बाद उसका इलाज शुरू होता था लेकिन फिर होश में आने पर वहीं स्थिति. अस्पतालकर्मी आज भी उस वाकये को नहीं भूले. इलाज के बाद जब मनोज घर आया तो वह बिल्कुल बदल चुका था.
नशे की लत से बरबादी की कगार पर खड़े मनोज की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी है. जो प्रतिदिन नशे में पत्नी को पीटता रहता था, वह अब उसे घुमाने ले जाता है. आज वह परिवार की हर जरूरत को पूरा करता है और अपने तथा परिजनों के भविष्य के लिए बचत भी करता है. मनोज पहले प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था. उसकी आमदनी प्रतिमाह 25 हजार रुपये थी, लेकिन शराब की लत के कारण कुछ भी नहीं बचता था. परिवार टूटने की कगार पर पहुंच गया था. एक अप्रैल को प्रदेश में शराबबंदी लागू होने के बाद जब शराब मिलनी बंद हो गयी तो मनोज की हालत खराब होने लगी. इसके बाद परिजन उसे नशा मुक्ति केंद्र ले गये. मनोज की पत्नी बताती है कि शराबबंदी ने उसके जीवन में खुशियों की बहार ला दी है.

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