दीदी नीलम आनंद की मनायी गयी 12 वीं पुण्यतिथि
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शिष्य बनने के लिए बाध्यता नहीं जाति-धर्म की
दीदी नीलम आनंद की मनायी गयी 12 वीं पुण्यतिथि आरा : सांस्कृतिक भवन में शुक्रवार को शिव शिष्य परिवार द्वारा दीदी नीलम आनंद की 12 वीं पुण्यतिथि मनायी गयी. कार्यक्रम में दूर-दराज से हजारों शिष्यों ने भाग लिया. सर्वप्रथम दीदी नीलम आनंद के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और संकल्प लिया कि संसार के […]
आरा : सांस्कृतिक भवन में शुक्रवार को शिव शिष्य परिवार द्वारा दीदी नीलम आनंद की 12 वीं पुण्यतिथि मनायी गयी. कार्यक्रम में दूर-दराज से हजारों शिष्यों ने भाग लिया.
सर्वप्रथम दीदी नीलम आनंद के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और संकल्प लिया कि संसार के एक-एक व्यक्ति की चेतना में शिव शिष्यता की चिराग जलायेंगे. इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक उमेश कुमार ने कहा कि भगवान शिव की भक्ति पुरातन काल से हमारे पूर्वज करते आ रहे हैं.
भगवान शिव के अनेक रूप से लोग जुड़ कर भक्ति लाभ लेते आ रहे हैं, लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान शिव गुरु रूप में सारे रूपों में ज्ञान अपने शिष्यों के मानस पटल पर देते हैं. साहब हरिंद्रानंद जी ने कहा है कि शिव शिष्यता धारित करने के लिए कोई जाति-धर्म, कोई वर्ग की आवश्यकता नहीं है. मिथिलेश मिश्र ने कहा कि दीदी नीलम आनंद अक्सर कहा करती थी कि मन से साधु बनना चाहिए, भेष से कोई साधु नहीं होता.
शिक्षाविद अखिलेश सिन्हा ने दीदी नीलम आनंद के साथ बिताये पल को याद करते हुए कहा कि जब भी हमलोग साहब हरिंद्रानंद जी और दीदी नीलम आनंद से मिलने जाते थे, तो ऐसा लगता था कि जैसे हमलोग अपने बड़े भाई व बहन से मिल रहे हैं. इस अवसर पर ललन, सुरेंद्र कुशवाहा, शिव शंकर, बीरेंद्र प्रसाद, अजय कुमार, किशोर जी, नीलम, मंजू, अंजू, रूबी, रंजीत कुमार, रंजीत श्रीवास्तव, प्रमोद कुमार, अभय, अमरजीत, अनिल, देव कुमार, संजीव कुमार, विजय, शिव कुमारी, गुड़िया, अंशु सहित सैकड़ों की संख्या में शिव शिष्य परिवार के लोग शामिल थे.
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