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एमए, बीए से महंगी है क, ख, ग की पढ़ाई

आरा : प्राइवेट स्कूल स्कैन के तहत प्रभात खबर द्वारा नगर के कई प्राइवेट स्कूलों की जांच- पड़ताल की गई व प्राइवेट स्कूलों की स्थिति सहित अन्य विषयों पर अभिभावकों से बातचीत की गई. इस दौरान देखा गया कि बच्चों की पढ़ाई के प्रति अभिभावकों में रुझान काफी बढ़ा है. औसत लोग भी अच्छी पढ़ाई […]

आरा : प्राइवेट स्कूल स्कैन के तहत प्रभात खबर द्वारा नगर के कई प्राइवेट स्कूलों की जांच- पड़ताल की गई व प्राइवेट स्कूलों की स्थिति सहित अन्य विषयों पर अभिभावकों से बातचीत की गई. इस दौरान देखा गया कि बच्चों की पढ़ाई के प्रति अभिभावकों में रुझान काफी बढ़ा है.

औसत लोग भी अच्छी पढ़ाई के लिए बच्चों का नामांकन निजी विद्यालयों में कराने को तत्पर हैं.पर निजी विद्यालयों की मनमानी ,बेतहाशा फीस वृद्धि व अन्य तरह के आर्थिक शोषण के कारण अभिभावकों को काफी परेशानी हो रही है.
हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा बिहार निजी विद्यालय (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2019 बनाकर निजी विद्यालयों के मनमानी पर नकेल कसने का प्रयास किया गया है. पर धरातल पर इसका असर पढ़ते नहीं दिखाई दे रहा है.जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालयों व चट्टी बाजारों में भी कई निजी विद्यालय चलाए जा रहे हैं.
शुरू में लग रहा था कि इन विद्यालयों के कारण शिक्षा की स्थिति में सुधार हो रहा है व शिक्षा का विकास हो रहा है.सरकारी स्कूलों में पनप रही अनुशासनहीनता व शिक्षा के स्तर में गिरावट को देखते हुए लोगों ने प्राइवेट स्कूलों की ओर रूख किया.
अधिकांश अभिभावकों ने अपने बच्चों का नामांकन प्राइवेट स्कूलों में कराना शुरू किया. इसका कारण प्राइवेट स्कूलों के बारे में समाज में बना कंसेप्ट था .लोगों को लगा कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई अच्छी होगी व बच्चे अनुशासित होंगे. शुरुआती दौर में हालात ऐसे ही थे. धीरे- धीरे प्राइवेट स्कूलों में भी हालात बिगड़ने लगे.
पैसे के लालच में प्रबंधकों ने पुरा कंसेप्ट ही बदल दिया.छात्र-छात्राओं के जीवन स्तर को ऊंचा करने व शिक्षा के मानक को सुदृढ़ करने के बदले प्राइवेट स्कूलों में पैसे को महत्व दिया जाने लगा. इसका बाजारीकरण कर दिया गया. हर काम के लिए पैसा लेना प्रबंधकों का एकमात्र उद्देश्य रह गया .
शुरुआती दौर में कॉपी ,किताब, ड्रेस आदि का निर्धारण तो विद्यालय प्रबंधन द्वारा किया जाता था, पर खरीदारी के लिए बच्चे व अभिभावक स्वतंत्र थे. अपनी पसंद के अनुसार बाजार से खरीदारी करते थे. ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी बच्चे व अभिभावक स्वतंत्र थे. उन्हें अपने संसाधनों से ही विद्यालय में जाना होता था.
पर धीरे -धीरे इस स्थिति में भी परिवर्तन हुआ. 85 प्रतिशत प्राइवेट स्कूलों के कैंपस में ही ड्रेस, पुस्तक ,कॉपी सहित स्टेशनरी के अन्य सामान विद्यालय प्रबंधन द्वारा ही बेचे जा रहे हैं. शिक्षा विभाग के उदासीन रवैया के कारण अभिभावक निजी विद्यालयों के प्रबंधन के मनमानी का शिकार होने को मजबूर हैं.
मनमानी रोकने को सरकार ने बनाये हैं नियम
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए सरकार ने नियम बनाया है. बिहार निजी स्कूल (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2019 के अनुसार पूर्व शैक्षणिक सत्र की तुलना में प्राइवेट स्कूल 7 फीसदी से अधिक फीस नहीं बढ़ा पायेंगे वहीं 25 प्रतिशत गरीब छात्रों का नामांकन लेंगे इसके लिए प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है.
सचिव शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय उप निदेशक व प्रमंडल के जिला शिक्षा पदाधिकारी आयुक्त द्वारा नामित दो अभिभावक व निजी विद्यालयों के प्रतिनिधि सदस्य के रूप में शामिल रहेंगे 7 प्रतिशत से अधिक शुल्क बढ़ाने का औचित्य विद्यालयों को बताना होगा. सरकार को 7 प्रतिशत शुल्क का पुनरीक्षण करने का अधिकार होगा.
अधिनियम, नियमावली व अधिसूचना के किसी प्रावधान का उल्लंघन करने पर प्रथम अपराध के लिए अधिकतम एक लाख रुपये एवं अगामी प्रत्येक अपराध के लिए दो लाख रुपये तथा निर्धारित दंड एक माह के भीतर नहीं जमा करने अथवा बार-बार नियमों का उल्लंघन के लिए दोषी पाये जाने की स्थिति में निजी विद्यालय अथवा सहायता पाने वाले विद्यालय की मान्यता अथवा संबंधन रद्द करने के लिए प्रमंडलीय आयुक्त सरकार को अनुशंसा करेंगे.
हित नारायण क्षत्रिय स्कूल में होती है अच्छी पढ़ाई
हित नारायण क्षत्रिय स्कूल में अच्छी पढ़ाई की जाती है. इसमें काफी संख्या में छात्र पढ़ते हैं .कक्षा 6 से 12 वी तक की पढ़ाई होती है. स्कूल में दो हजार से अधिक छात्र पढ़ते हैं. क्षत्रिय स्कूल का स्वर्णिम इतिहास रहा है
.हमेशा इसके छात्रों ने बाजी मारी है .अनुभवी व अच्छे शिक्षकों के कारण विद्यालय के छात्रों का परीक्षा परिणाम काफी अच्छा होता है. 70 से 80 प्रतिशत से अधिक छात्र अच्छी श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं .80 के दशक में विद्यालय के 90 प्रतिशत छात्र प्रथम श्रेणी में परीक्षा में उत्तीर्ण होते थे.
स्कूल फीस
वर्ग एक से पांच तक के लिए
नामांकन शुल्क : 12 हजार रुपये
ट्यूशन फीस : नौ सौ रुपये
वर्ग 6 से 8 के लिए
नामांकन शुल्क : 18 हजार रुपये
ट्यूशन फीस : 12 सौ रुपये
वर्ग 9 एवं 10 के लिए
नामांकन शुल्क : 25 हजार रुपये
ट्यूशन फीस : दो हजार रुपये
औसतन दो हजार रुपये वसूली जाती है ट्यूशन फीस
जिले के प्राइवेट विद्यालयों में कक्षा एक से कक्षा 10 तक में नामांकन और ट्यूशन फीस के लिए तीन स्लैब बनाये गये हैं.
वर्ग एक से वर्ग पांच तक के छात्र-छात्राओं के लिए एक तरह का नामांकन शुल्क और ट्यूशन फीस लगता है, जबकि वर्ग छह से आठ तक के छात्र-छात्राओं के लिए एक तरह का ट्यूशन फीस नामांकन शुल्क के रूप में लगता है, जबकि तीसरे स्लैब में वर्ग नवम और 10 के छात्र-छात्राएं आते हैं.
प्रतिवर्ष बढ़ाया जाता है फीस : निजी स्कूलों में प्रतिवर्ष मनमाने तरीके से फीस में वृद्धि की जाती है. वहीं प्रतिवर्ष नामांकन शुल्क लिया जाता है.
एक ही विद्यालय के छात्र-छात्राएं जब विद्यालय में स्वर्ग में जाते हैं तो भी उनसे नामांकन शुल्क लिया जाता है इस कारण भी अभिभावकों को काफी परेशानी होती है व उन्हें काफी आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है.

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