ईशु राज, भागलपुरइतिहासकार व संस्कृतिकर्मी जब इस सप्ताह में ऐतिहासिक व प्राचीन धरोहरों के संरक्षण पर चर्चा कर रहे हैं, तब भागलपुर में यूरोपियन शैली में बनी टिल्हा कोठी सिसक-सिसक कर रो रही है. 19 नवंबर से 25 नवंबर तक विश्व धरोहर सप्ताह मनाया जा रहा है, लेकिन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय परिसर स्थित 100 वर्ष से अधिक पुराना ऐतिहासिक टिल्हा कोठी (रवींद्र भवन) के अंग-भंग होते जा रहे हैं. ईस्ट इंडिया कंपनी के समय निर्मित यह भवन कभी वॉच टॉवर के रूप में जाना जाता था. आज यह धरोहर जटिल समस्याओं से जूझ रहा है. स्थानीय लोग इसे ऊंचाई पर स्थित होने के कारण टिल्हा कोठी कहते हैं.
दो करोड़ से होना था जीर्णोद्धार, फाइल है दबी हुई
टीएमबीयू स्थित रवींद्र भवन का दो करोड़ से जीर्णोद्धार करने का निर्णय विवि प्रशासन ने इसी वर्ष फरवरी में लिया था, ताकि टूरिज्म को बढ़ावा मिल सके. फरवरी में ही शिक्षा मंत्री के साथ टीएमबीयू के कुलपति व अधिकारियों की बैठक हुई थी. इसमें कुलपति ने शिक्षा मंत्री को विवि के शैक्षणिक, प्रशासनिक व आधारभूत संरचना को विकसित करने के मुद्दे पर कई प्रस्ताव रखा. दो करोड़ की राशि से मुख्य भवन को दुरूस्त करने के साथ-साथ म्यूजियम को अपडेट करने के प्रस्ताव पर शिक्षा मंत्री ने डिटेल फाइल शिक्षा सचिव को भेजने के लिए कहा था. इसके बाद फाइल दब गयी.इन समस्याओं से जूझ रही कोठी
-भवन में वर्षों से साफ-सफाई नहीं, मुख्य द्वार पर कूड़े का अंबार-भवन के अंदर जाने वाली सड़क पूरी तरह है जर्जर-भवन का रखरखाव लंबे समय से है उपेक्षित-सीढ़ियां, दरवाजे, कंगूरे हैं टूटे हुए
-मिट्टी का कटाव भी हो रहा, दीवारों पर हैं दरारें-सुरक्षा व्यवस्था शून्य, शाम होते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ाबोले प्रभारी, तत्काल मरम्मत जरूरी
प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के अध्यक्ष अमरकांत सिंह ने बताया कि पिछले दो-तीन वर्षों से विभाग में स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है. बाढ़ पीड़ितों ने भवन में काफी गंदगी फैलाई. खिड़कियों, दरवाजों और कूंडों की चोरी हुई. नशेड़ियों का जमावड़ा रहता है. भवन जर्जर है. तत्काल मरम्मत आवश्यक है. फिलहाल विश्वविद्यालय द्वारा विभागीय खर्चे से सफाई व छोटी-मोटी मरम्मत करायी जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

