-विशेषज्ञ चिकित्सकों ने जारी किया अलर्ट और मरीजों को पौष्टिक भोजन लेने समेत अन्य प्रकार के दिये सुझाव
सर्दी, भू-जल स्तर गिरने व धान की कटनी शुरू होने से भागलपुर के पर्यावरण में धूलकण की मात्रा बढ़ गयी है. एक कारण वाहनों की बढ़ती संख्या भी है. इससे सांस व चर्म रोग के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है.विशेषज्ञों की मानें तो दिनोंदिन गंगा प्रदूषित होती जा रही है. गंदगी व गाद से गंगा भरती जा रही है. ऐसे में पेयजल की गुणवत्ता गिर रही है. गंगा के किनारे के मुहल्ले में पीने लायक पानी नहीं आ पा रहा है. चार से छह घंटे पानी रखने में ही पानी पीला व लाल हो जाता है. इसका असर सेहत पर पड़ रहा है.
शहर के वरीय चिकित्सक डाॅ विनय कुमार झा बताते हैं कि हवा की खराब गुणवत्ता का असर शहर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इसके कारण दमा, कैंसर और सांस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. स्मॉग का बच्चों और अस्थमा के मरीजों पर बुरा असर पड़ता है. स्मॉग में छिपे केमिकल के कण अस्थमा के अटैक की आशंका को और ज्यादा बढ़ा देंगे. साथ ही आंखों में जलन भी हाेती है. ब्रोंकाइटिस यानी फेफड़े से संबंधित बीमारी के मामले बढ़ जाते हैं. फेफड़े कमजोर हाे सकते हैं. चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ शंकर ने बताया कि प्रदूषण से इंफेक्शन होता है. खुद का केयर नहीं करने से चर्म रोगी बढ़ते हैं. सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक धूप से यूवी-ए रे आते हैं. सन स्क्रीन लगाने की जरूरत है. पौष्टिक भोजन जिसमें प्रोटीन वाले भोजन, जिसमें हरी सब्जी व फल लेने की जरूरत है. प्रदूषण से 20 प्रतिशत तक मरीज बढ़ गये हैं. अभी धन कटनी के दौरान डस्ट उड़ता है. इससे एलर्जी की बीमारी बढ़ रही है. मुंह व नाक पर मास्क लगाने की जरूरत है. लोग ठंड से कोल्ड एलर्जी की चपेट में आ रहे हैं. अभी गर्म कपड़ा में रहना होगा. थोड़ी भी लापरवाही कई बीमारियों का कारण बन सकती है.प्रदूषण से सीधा नौ प्रतिशत, अप्रत्यक्ष रूप से 30 फीसदी एवं ओवरऑल 50 फीसदी तक बढ़े मरीज
जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, भागलपुर के प्राचार्य रहे वरीय चिकित्सक डॉ हेमशंकर शर्मा ने बताया कि भागलपुर में प्रदूषण से सीधे नौ प्रतिशत मरीज बढ़े हैं, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से जैसे लंग्स, हृदय, मस्तिष्क को प्रदूषण से असर डालता है. ऐसे मरीज 30 फीसदी तक बढ़ गये हैं. ब्रोंकाइटिस-निमोनिया जैसे मरीज प्रदूषण के कारण होता है. अधिकतर बीमारी के जड़ में प्रदूषण है. ओवरऑल 50 फीसदी तक बीमारी हो रहे हैं. हार्ट अटैक से 23 प्रतिशत मौत, 22 प्रतिशत ब्रेन हेम्ब्रेज से मौत, निमोनिया से 24 प्रतिशत मौत हो रही है. लोगों में जागरूकता की कमी है. जागरूकता से ही प्रदूषण को कम कर सकते हैं. शहरीकरण के कारण प्रदूषण बढ़े हैं. अपने घर की छतों पर भी गार्डनिंग कर सकते हैं. भागलपुर के दो प्रतिशत भी ग्रिनरी नहीं है.
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