-लगातार बदल रहे मौसम का भी लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है असर, तो दूषित जल व भोजन से टाइफाइड व जॉन्डिस के मरीज बढ़ेबाढ़ का पानी उतरने के बाद संक्रमित धूल से जहां वैक्टेरियल व फंगल खासकर स्कीन के मरीज बढ़ गये हैं, तो जलजनित बीमारी में बेतहाशा वृद्धि हुई है. खासकर टाइफाइड के 70 फीसदी व पीलिया व डायरिया के 15-15 फीसदी मरीज बढ़ गये हैं. लगातार मौसम में बदलाव होने से एलर्जिक मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. जेएलएनएमसीएच व सदर अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में करीब 40 फीसदी तक डायरिया, टायफाइड व पीलिया के मरीज बढ़ गये हैं. निजी क्लिनिक में भी इन दिनों जांच में टाइफाइड के केस अधिक मिल रहे हैं. बुखार से पीड़ित अधिकांश मरीजों की रिपोर्ट टायफाइड पॉजिटिव आ रही है.
लिवर में सूजन होने पर जॉडिस व टायफाइड में आंत का होता है इंफेक्शन
वरीय चिकित्सक डॉ विनय कुमार झा ने बताया कि बारिश व ऊमस भरी गर्मी से वैक्टिरिया पनपने लगे हैं. इससे डायरिया, टायफाइड व पीलिया के मरीज बढ़ने लगे. बुखार वाले मरीजों में 70 फीसदी टाइफाइड के मरीज पाये जा रहे हैं. वहीं कुछ मरीज जॉन्डिस के भी मिल रहे हैं. अगर मरीज को बुखार के साथ सर्दी खांसी रहती है, तो ऐसे केस वायरल इंफेक्शन के रहते हैं. बैक्टीरिया नालियों या मल-मूत्र वाले गंदे स्थानों पर पाये जाते हैं. वहीं लिवर में सूजन होने पर जांडिस (पीलिया) हो जाता है. इसके मरीज की आंखें पीला, पेशाब का रंग पीला, उल्टी व भूख का कम लगना व पेट में लगातार दर्द बना रहता है. अगर ये लक्षण दिखे तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें. टायफाइड या जॉन्डिस के मरीज खुले में बिकने वाले भोज्य पदार्थों से परहेज करें. फल व हरी सब्जियों को अच्छी तरह से धाेने के बाद ही इस्तेमाल करें. घर के आसपास को साफसुथरा रखें, दूषित और बासी भोजन न करें. जंक फूड (पिज्जा,बर्गर, मोमो, चाउमिन आदि) से दूर रहें. खुले में बिक रहे जूस, मिठाई, चाट-गोलगप्पा से दूर रहें.जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के टीबी-चेस्ट विभाग के सेवानिवृत्त एचओडी डॉ डीपी सिंह ने बताया कि इन दिनों टायफाइड व जॉन्डिस के मामले 50 फीसदी तक बढ़े हैं. टायफाइड में आंत का इंफेक्शन होता है. यह गंदा पानी व दूषित भोजन से होता है. ऐसे मामले में डॉक्टर की सलाह जरूरी है. उन्होंने बताया कि संक्रमण के मौसम में घर के सभी लोग दिन में कई बार हाथ को साबुन से साफ करें. पानी को उबालकर पीने से बीमारी का चांस कम हो जाता है. अगर किसी मरीज को तेज बुखार के साथ-साथ सरदर्द होता हो तो उसे सतर्क हाे जाना चाहिए. उसे टायफाइड हो सकता है. अगर मरीज में उक्त लक्षण के साथ-साथ भूख की कमी, उल्टी व सुबह बुखार का ज्यादा होना और शाम तक कम हो जा रहा है, तो सजग हो जाएं. इसके मरीज को दवा के साथ-साथ आराम करना चाहिए. इसे ठीक होने में दस दिन से लेकर 14 दिनों का समय लगता है.
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