संस्कृतिकर्मियों ने जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री व कला संस्कृति विभाग के वरीय पदाधिकारी को लिखा पत्र
आधुनिक प्रेक्षागृह का जीर्णोद्धार कार्य पूरा हुए साल से अधिक हो गया. अब तक हैंडओवर तक नहीं हो सका है. रंगकर्मियों को वर्षों से जैसे-तैसे अभिनय, नृत्य व अन्य सांस्कृतिक आयोजन करना पड़ रहा है या चंदा जुटाकर पंडाल सजाकर आयोजन करना पड़ रहा है. विडंबना है कि कला-संस्कृति विभाग को भी एक निजी भवन के कमरेनुमा परिसर में आयोजन कराना पड़ रहा है. संस्कृतिकर्मियों की मानें तो कला-संस्कृति विभाग के कार्यक्रम में भी बमुश्किल 20 कुर्सी तक किसी तरह लग सकती है और यहां आयोजन करना भी बहुत मुश्किल होता है. खुद इस बात को जिला कला संस्कृति पदाधिकारी अंकित रंजन ने माना है.संस्कृतिकर्मियों ने 20 बार से अधिक जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक उठायी आवाजविभिन्न संगठनों से जुड़े अलग-अलग संस्कृतिकर्मियों का प्रतिनिधिमंडल जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक आवाज उठा चुके हैं. दिशा जन सांस्कृतिक मंच के संयोजक प्रो चंद्रेश ने कहा कि जिलाधिकारी कार्यालय के नाक के नीचे स्थित अंग सांस्कृतिक भवन का जीर्णोद्धार करके आधुनिक प्रेक्षागृह बनाने में दो करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो गये. कांट्रेक्टर व भवन निर्माण विभाग हैंडओवर की तैयारी करने में ही एक साल से अधिक बीत चुके है. संबंध के युवा रंगकर्मी रितेश रंजन ने कहा कि प्रेक्षागृह की दीवारों का प्लास्टर व रंग उखड़ने लगे हैं. इसे लेकर कला-संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव से लेकर सीएमओ तक पत्र भेज चुके हैं. इसके अलावा जिलाधिकारी से कमिश्नर तक अपनी मांग उठा चुके हैं.
इप्टा के पूर्व सचिव संजीव कुमार दीपू ने बताया कि अंग सांस्कृतिक भवन का निर्माण संग्रहालय के साथ 22 फरवरी 2006 को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के सौजन्य से दो करोड़ की लागत से कराया गया था. इसके बाद अब तक इस परिसर में बमुश्किल चार से पांच आयोजन हुए. 2016 से पहले तक इस भवन का इस्तेमाल गोदाम के रूप में होता रहा. आलय के युवा रंगकर्मी चैतन्य प्रकाश व इप्टा की वर्तमान सचिव श्वेता भारती ने बताया कि भागलपुर के रंगकर्मियों के सुझाव के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी आदेश तितरमारे इसमें रुचि लेते हुए भागलपुर संग्रहालय के तत्कालीन क्यूरेटर को स्मारपत्र कला, संस्कृति व युवा विभाग को भेजने को कहा और वहीं से प्रेक्षागृह के आधुनिकीकरण व पुनरुद्धार की शुरुआत हुई. अब तक जीर्णोद्धार में दो करोड़ खर्च हो गये, न संतोषजनक कार्य नहीं हुआ. न ही इसे चालू किया गया है. अंग सांस्कृतिक केन्द्र परिसर में बना ओपन एयर थियेटर का निर्माण मजाक बन कर रह गया है. इसके मंच पर टाइल्स लगा दिया गया है, जिस पर मंचन संभव ही नहीं है. उसी तरह मंच पीछे बनी दीवार पर टाइल्स लगा दिया गया है. इससे रोशनी रिफ्लेक्ट होगी.एक निजी परिसर में कला-संस्कृति विभाग का हो चुका है पांच बड़े कार्यक्रम
बड़ी खंजरपुर स्थित निजी भवन को जिला कला संस्कृति विभाग की ओर से कार्यालय बनाया गया है. साहित्य व कला संस्कृति से जुड़े कुमार गौरव ने बताया कि यहां अब तक पांच से अधिक बड़े कार्यक्रम हो चुके हैं. यदि आधुनिक प्रेक्षागृह को हैंडओवर कर दिया जाता, तो कार्यक्रम की प्रस्तुति में दिक्कत नहीं होती. सरस्वती पूजा में कला उत्सव, महिला दिवस पर कार्यक्रम, अटल जयंती पर कार्यक्रम हुए हैं.
कोट
कला संस्कृति विभाग के तहत चार निदेशालय हैं. उसी में एक संग्रहालय निदेशालय के तहत इस भवन को रखा गया है. यहां के सहायक अध्यक्ष सुधीर यादव हैं. कला संस्कृति विभाग को आयोजन के लिए ऐसे प्रेक्षागृह की जरूरत है. हैंडओवर नहीं होने के कारण यहां कार्यक्रम करना मुश्किल हो रहा है. मुख्यालय बात कर चुके हैं. विधिवत पत्राचार करके शीघ्र हैंडओवर करायेंगे. इससे संस्कृतिकर्मियों व रंगकर्मियों को दिक्कत नहीं होगी.अंकित रंजन, जिला कला-संस्कृति पदाधिकारी, भागलपुर—
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