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Bhagalpur news आस्था में डूबा सुलतानगंज, देवोत्थान एकादशी पर उमड़ी भीड़

सुलतानगंज प्रखंड क्षेत्र में शनिवार को देवोत्थान एकादशी आस्था व श्रद्धा से मनाया गया.

सुलतानगंज प्रखंड क्षेत्र में शनिवार को देवोत्थान एकादशी आस्था व श्रद्धा से मनाया गया. सुबह से ही गंगा तटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. हजारों लोगों ने उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान कर भगवान वासुदेव की पूजा-अर्चना किया. पर्व को लेकर बाजार में दिनभर चहल-पहल रही. श्रद्धालुओं ने शनिवार की शाम भगवान श्रीहरि को मंत्रोच्चार से शयन निंद्रा से जगा कर विधि-विधानपूर्वक पूजा की और विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किये. देवोत्थान एकादशी में प्रयोग में आने वाली सुथनी की कीमत 200 रुपये किलो रही. महंगाई से कुछ लोगों ने कम मात्रा में खरीदारी की, लेकिन ईख, शकरकंद, केला, सेव सहित अन्य पूजन सामग्री की खरीद-बिक्री पूरे दिन जोरों पर रही. गंगा तटों पर श्रद्धालुओं ने गंगाजल भर कर बाबाधाम प्रस्थान किया. बाबा अजगैवीनाथ मंदिर परिसर और नमामि गंगे घाट पर पूरे दिन भक्तों का तांता लगा रहा. वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण सराबोर रहा. घरों में भी लोगों ने भगवान शालिग्राम और तुलसी की पूजा-अर्चना कर एकादशी व्रत का पालन किया. बाजार में भीड़ से जाम की स्थिति बनी रही. वाहनों की लंबी कतार लग गयी. देवोत्थान एकादशी पर गंगा स्नान कर बाबा अजगैवीनाथ का पूजा अर्चना हजारों भक्तों ने किया.

वैदिक रीति से तुलसी-शालिग्राम विवाह संपन्न

देवोत्थान एकादशी पर तुलसी-शालिग्राम का विवाह धार्मिक उल्लास और वैदिक रीति-रिवाजों से संपन्न हुआ. नगर के विभिन्न मंदिरों व घरों में श्रद्धालुओं ने श्रद्धा व भक्ति से यह पर्व मनाया. पंडितों ने मंत्रोच्चार व वैदिक विधि-विधान से भगवान श्रीहरि के प्रतीक शालिग्राम और देवी तुलसी का विवाह कराया. महिलाओं ने मंगल गीत गाये और तुलसी माता को चुनरी ओढ़ा विवाह की रस्म पूरी की. पूरे वातावरण में ओम नमो भगवते वासुदेवाय के जयघोष गूंजते रहे. पंडितों ने बताया कि तुलसी विवाह भारतीय परंपरा में अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है. श्रद्धालुओं ने बताया कि तुलसी विवाह से देवोत्थान पर्व की पूर्णाहुति होती है और यह शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है.

देवोत्थान एकादशी मना

अकबरनगर देवोत्थान एकादशी अकबरनगर सहित विभिन्न इलाकों में धूमधाम से मनाया गया. श्रद्धालुओं ने हरि की पूजा अर्चना की. देवोत्थान एकादशी को लेकर महिलाओं ने घरों के आंगन में रंगोली सजायी. उठो देव, जागो देव का आह्वान किया. भगवान विष्णु की आरती उतार कर पूजा-अर्चना की.

देवोत्थान एकादशी पर धार्मिक कार्यक्रम

कहलगांव प्रखंड के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में कार्तिक माह के देव उठावन एकादशी पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये गये. साहित्यवाचस्पति आचार्य रामजी मिश्र रंजन ने बताया भगवान विष्णु को चार महीने के योगनिंद्रा के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष देवोत्थान एकादशी के दिन भक्तों ने षोडशोपचार पूजन कर जगाया जाता हैं. सायं काल में माता तुलसी के साथ विवाह करा मांगलिक कार्य का शुभारंभ करते हैं. शास्त्रोक्त कथन है कि एकादशी को भगवान जग जाते हैं. द्वादशी को देवताओं से मिलते हैं. त्रयोदशी को ऋषि मुनियों से मिलते हैं. चतुर्दशी को आमजन से मिलते हैं, फिर देव दीपावली पूर्णिमा को वह पदभार ग्रहण कर सृष्टि की देखभाल करने लगते हैं. यह एकादशी से पूर्णिमा तक की तिथि को भीष्मपंचक कहते हैं. इस दौरान धार्मिक कार्यक्रम में संलिप्त रहने से मनुष्य जीवन में धन, ऐश्वर्य, सुख समृद्धि प्राप्त होती है.

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