अरफीन जुबैर, भागलपुर
बिहार के प्रमुख विश्वविद्यालयों में एक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के विद्यार्थियों ने जहां राजनीति के मंच पर लगातार अपनी मजबूत पहचान बनायी और गहरी छाप छोड़ी, वहीं शिक्षकों का प्रदर्शन सियासत के अखाड़े में प्रभावशाली नहीं रहा. विवि के 65 वर्षों के इतिहास में करीब तीन दर्जन शिक्षकों ने विधानसभा, लोकसभा व विधान परिषद चुनाव में किस्मत आजमाया. इनमें महज 3-4 को ही सफलता मिल पायी. अधिकतर शिक्षकों को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. दूसरी ओर विवि के छात्रों ने राजनीतिक मंच पर लगातार सफलता का परचम लहराया. टीएनबी कॉलेज के चार विद्यार्थी बिहार के मुख्यमंत्री तक बने. टीएनबी कॉलेज के विद्यार्थी रहे भागवत झा आजाद, जगन्नाथ मिश्रा, सतीश प्रसाद सिंह, दारोगा प्रसाद राय सूबे के मुख्यमंत्री बन कर कॉलेज व विवि का नाम रोशन किया. यह शायद सूबे के इतिहास में दुर्लभ उदाहरण है कि एक ही कॉलेज ने चार-चार मुख्यमंत्री दिये हों. आज भी टीएनबी कॉलेज के शिक्षक नये विद्यार्थियों को गर्व से कॉलेज के चार-चार विद्यार्थियों के मुख्यमंत्री बनने की कहानी सुनाते हैं.
पूर्व प्रॉक्टर प्रो विलक्षण रविदास मानते हैं-“अब कोई भी पार्टी अकेले चुनाव नहीं लड़ती. गठबंधन की मजबूरी है. शिक्षक इन समीकरणों में जगह नहीं बना पाते. साथ ही चुनावी खर्च का भी दबाव है, जहां बड़े नेता करोड़ों खर्च करते हैं, वहीं शिक्षक दस–पंद्रह लाख से आगे नहीं जा पाते. नतीजा होता है-हार.”
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