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bhagalpur news. धर्म की रक्षा के लिए श्रीराम व लक्ष्मण को गुरु विश्वामित्र ने दी शिक्षा

अयोध्या के राजा दशरथ से श्रीराम और लक्ष्मण को गुरु विश्वामित्र ने धर्म की रक्षा के लिए मांगा ताकि शिक्षा-दीक्षा देकर उनकी दिव्य शक्तियों का इस्तेमाल मानव कल्याण में लगाया जा सके.

अयोध्या के राजा दशरथ से श्रीराम और लक्ष्मण को गुरु विश्वामित्र ने धर्म की रक्षा के लिए मांगा ताकि शिक्षा-दीक्षा देकर उनकी दिव्य शक्तियों का इस्तेमाल मानव कल्याण में लगाया जा सके. उक्त बातें झारखंड आमड़ापाड़ा के कथावाचक पं रविशंकर ठाकुर ने श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन बुधवार को प्रवचन करते हुए कही. आगे उन्होंने कहा कि राक्षस मारीच और सुबाहु गुरु विश्वामित्र के यज्ञ में बाधा डालते थे. ताड़का और उसके पुत्रों मारीच, सुबाहु को मारने के लिए किसी शक्तिशाली योद्धा की जरूरत थी, जो केवल राम ही थे. गुरु विश्वामित्र चाहते थे कि राम को धर्म और क्षत्रिय धर्म के अनुसार राक्षसों का संहार करने का अवसर मिले, जिससे वे एक महान योद्धा और धर्म पालक बन सके. आयोजन समिति प्रेरक विनोद अग्रवाल, अध्यक्ष हरि खेतान, बसंत जैन, विकास बुधिया, डॉ प्रभा रानी,चिंटू अग्रवाल, खुशबु खेतान, रजनी बुधिया आदि कार्यक्रम में उपस्थित थे. भगवान श्रीराम के वनवास गमन को लेकर श्रीरामलीला का हुआ मंचन पांचवें दिन श्वेता सुमन रचित व निर्देशित श्रीरामलीला में रामराज्य अभिषेक की घोषणा और फिर वनवास गमन का मंचन किया गया. पटना से आये कलाकारों ने मंथरा व कैकई प्रसंग को जीवंत कर दिया. रेणु नंदन व आशीष जौनी ने बेहतरीन अभिनय किया. प्रभु राम व सीता के करुण संवाद ने दर्शकों को भावुक कर दिया.

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