-30 करोड़ से बनना है कार्यालय भवन, डीपीआर के बिना कार्य एजेंसी बहाली मुमकिन नहीं
नगर निगम के नये कार्यालय भवन निर्माण की योजना कागजों में ही अटकी है. निगम प्रशासन ने निविदा के जरिये दिल्ली की डीपीआर कंसल्टेंट एजेंसी तो तय कर दी, लेकिन एजेंसी ने अब तक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने की जहमत नहीं उठायी. चौंकाने वाली बात यह है कि वह एजेंसी सिर्फ फाइनेंशियल बिड खुलने के समय भागलपुर आयी थी, इसके बाद से न कोई विजिट किया और न ही निगम ने उनकी खोज-खबर लेने की कोशिश की. निगम प्रशासन इस इंतजार में है कि सरकार से मॉडल एस्टिमेट तैयार होकर आ जाये, ताकि डीपीआर बनवाने का खर्च बच सके. दरअसल, कंसल्टेंट से डीपीआर तैयार कराने में मोटी रकम खर्च होनी है. लेकिन, चार महीने बीत जाने के बाद न तो मॉडल एस्टिमेट तैयार हो पाया है और न ही तय कंसल्टेंट एजेंसी से डीपीआर बन सकी है. नतीजा, नया कार्यालय भवन निर्माण अटका हुआ है. निगम के योजना शाखा प्रभारी आदित्य जायसवाल ने बताया कि तय एजेंसी ने एक बार विजिट किया, फिर लौटकर नहीं आयी है. एजेंसी को इसलिए भी एग्रीमेंट के लिए नहीं कही जा रही है कि सरकार से मॉडल एस्टिमेट बनकर आने वाला है. यह अगर आ जाता है तो डीपीआर बनवाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.30 करोड़ से अधिक का बजट, फाइल धूल फांक रही
नये कार्यालय भवन निर्माण के लिए निगम ने 30 करोड़ रुपये से अधिक का बजट प्रावधान किया है. यह राशि तभी खर्च हो सकेगी, जब डीपीआर तैयार हो और उसके आधार पर निविदा जारी कर कार्य एजेंसी बहाल की जाये. फिलहाल यह पूरी प्रक्रिया ठप है और योजना शाखा में फाइल धूल फांक रही है.
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