10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bhagalpur News.बाइपास टोल प्लाजा का कलेक्शन रेट घटा, मगर जनता को लाभ नहीं

बायपास टोल प्लाजा का एजेंसी के लिए रेट घटा.

बाइपास टोल में सिर्फ एजेंसी को राहत, आम लोगों के लिए दर रहेगी जस की तस

स्थायी बाइपास के टोल प्लाजा को लेकर बड़ा बदलाव सामने आया है. यहां टोल की दरों में कटौती की गयी है, लेकिन इसका फायदा आम वाहन चालकों को नहीं मिलेगा. यह कमी टोल वसूली करने वाली एजेंसी के भुगतान में की गयी है. नयी एजेंसी अब प्रतिदिन 6 लाख 21 हजार रुपये एनएचएआइ को देगी, पहले यह राशि 6 लाख 33 हजार रुपये रोजाना तय थी.

एनएचएआइ की मानें, तो 23 अगस्त 2024 को राजेंद्र सिंह नाम की फर्म को एक वर्ष के लिए टोल कलेक्शन की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. इस एजेंसी का टेंडर 22 अगस्त 2025 को समाप्त हो गया. इसके बाद एनएचएआइ ने नयी एजेंसी के चयन के लिए टेंडर जारी किया, लेकिन घाटे की आशंका के कारण किसी भी फर्म ने रुचि नहीं दिखायी. ऐसी स्थिति में राजेंद्र सिंह की फर्म की जिम्मेदारी अस्थायी रूप से बढ़ा दी गयी.पिछले महीने नयी एजेंसी का चयन किया गया है. बताया जा रहा है कि यूपी के प्रयागराज की सुरेंद्र कुमार शुक्ला नाम की फर्म ने टोल वसूली का जिम्मा संभाला है. इस फर्म ने तभी जिम्मेदारी लेने पर सहमति दी, जब एनएचएआइ ने एपीसी (एनूअल पोटेंशियल कलेक्शन ) घटाकर 6.21 लाख रुपये प्रतिदिन कर दिया.

घाटे के चलते कई एजेंसियों ने छोड़ा टेंडर

टोल प्लाजा पर घाटे के कारण पहले भी कई एजेंसियां टेंडर सरेंडर कर चुकी हैं. फरवरी 2024 में टेंडर लेने वाली दिल्ली की सोनू कुमार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने महज तीन से चार महीने में ही घाटा बताते हुए जिम्मेदारी छोड़ दी थी. इसी तरह 1 सितंबर 2023 को नागपुर की केसीसी लिमिटेड को टोल का टेंडर मिला था, जिसने दो महीने के अंदर 20 नवंबर को सरेंडर कर दिया.इसके बाद 21 नवंबर 2023 को राजस्थान की ऋषिराज कंपनी को टोल वसूली का काम सौंपा गया, लेकिन इस कंपनी ने भी करीब तीन महीने बाद फरवरी 2024 में ही टेंडर वापस कर दिया. इससे पहले अगस्त 2021 से अगस्त 2022 तक मध्यप्रदेश के जबलपुर की वंशिका कंस्ट्रक्शन ने एक वर्ष का टेंडर पूरा किया था. वहीं, राजेंद्र सिंह की एजेंसी 2019 से 2021 तक दो वर्षों तक इस टोल प्लाजा का संचालन कर चुकी है.

निर्माण कार्य बना घाटे की वजह

टोल प्लाजा से जुड़े कर्मचारियों की मानें, तो इस रूट पर अभी भी निर्माण कार्य चल रहा है, जिस कारण वाहनों की संख्या अपेक्षाकृत कम रहती है. इसी वजह से औसतन रोजाना करीब दो लाख रुपये का घाटा उठाना पड़ता है. यही कारण है कि लगातार एजेंसियां टोल वसूली की जिम्मेदारी लेने से पीछे हटती रही हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel