नवगछिया की सड़कों पर सफर में जिंदगी को बचाने का कोई रिटेक नहीं मिलता. असावधानी होने पर जिंदगी ही खत्म हो जाती है और परिवार बिखर जाता है. फिल्म की शूटिंग में गलती होने पर सीन दोबारा फिल्माया जा सकता है, लेकिन नवगछिया की सड़कों पर सीधे मौत मिलती है. अनुमंडल में हर महीने 12 से 15 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो जाती है. ठंड और कुहासे में हादसों में इजाफा हो जाता है. धुंध में दृश्यता कम होने से वाहन चालकों को आने-जाने वाले वाहन या राहगीर का पता ही नहीं चलता और दुर्घटना हो जाती है.
एक ही रात तीन सड़क हादसे तीन घरों का बुझ गया दीपक
शनिवार की देर रात अलग-अलग स्थानों पर हुए तीन सड़क दुर्घटनाओं में तीन युवकों की मौत हो गयी. मृतकों में सहोड़ा के बनवारी सिंह के पुत्र मनोज सिंह, खगड़िया जिला के परवत्ता सलारपुर के विक्रांत विष्णु, खरीक थाना के अलालपुर का केला व्यवसायी विपिन कुमार है. एक रात में तीन महिलाओं की मांग सूनी हो गयी. मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया. ब्लैक स्पॉट पर प्रशासन की नजर नहीनवगछिया में कई ऐसे स्थान हैं, जिन्हें लोग ब्लैक स्पॉट के नाम से जानते हैं .जहां आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं.मदौरानी चौक :
यहां खतरनाक मोड़ है, दूर से आने वाले वाहन दिखाई नहीं पड़ते. कुहासे में जोखिम और बढ़ जाता है.चापर ढ़ाला :
लगातार हादसों का केंद्र रहा बाबा बिसुराउत सेतु पहुंच पथ के मिलन चौक कई घटनाएं दर्ज.जाह्नवी चौक के समीप :
यहां अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है. स्थानीय लोग व जनप्रतिनिधि कई बार इन स्थानों पर उचित संकेतक, स्पीड कंट्रोल, डायवर्सन और प्रकाश व्यवस्था की मांग कर चुके हैं, लेकिन परिवहन विभाग और एनएचआई प्रभावी कदम नहीं उठा सका है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

