कभी परंपरागत फसलों पर निर्भर रहने वाले आसियाचक के किसान अब फूल की खेती को अपनी आय का नया आधार बनाने की तैयारी में हैं. रविवार को पैक्स प्रबंधक प्रशांत कुमार की अगुवाई में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें किसानों को फूल की खेती के वैज्ञानिक व आर्थिक महत्व के बारे में समझाया गया. उन्होंने बताया कि उद्यान विभाग, भागलपुर से 10 हजार गेंदा फूल के पौधे मंगाये गये और किसानों में वितरित किये गये हैं. पहली बार किसान बड़े पैमाने पर फूल की खेती को लेकर आगे आये हैं. अगर यह प्रयास सफल रहा, तो पंचायत का नाम फूल उत्पादन के लिए जाना जायेगा. यह किसानों के उम्मीदों को खिलायेगा.
गेंदा फूल की मांग पूरे साल
किसानों में यह नया उत्साह अचानक नहीं उभरा. आठ साल पहले जब किसानों को मूंग की खेती के लिए प्रेरित किया गया था, तब बहुतों को विश्वास नहीं था कि यह खेती बड़े पैमाने पर लाभ दे सकेगी. आज मूंग की खेती कई किसानों के लिए आत्मनिर्भरता का स्रोत बन चुकी है. उसी सफलता की याद दिलाते हुए पैक्स प्रबंधक ने किसानों को विश्वास दिलाया कि फूल की खेती आने वाले वर्षों में उनकी आय का सशक्त स्तंभ बना सकती है. गेंदा फूल की खासियत यह है कि इसकी मांग पूरे साल रहती है. चाहे पर्व-त्योहार हो, शादी-विवाह या धार्मिक अनुष्ठान. स्थानीय स्तर पर फूल की उपलब्धता न होने से व्यापारी दूरदराज के इलाकों से फूल मंगाते रहे हैं. अब यदि पंचायत में ही फूल का उत्पादन होने लगेगा, तो किसान सीधे बाजार से जुड़ सकेंगे और बेहतर दाम हासिल कर पायेंगे. गांव के किसान बताते हैं कि यह पहल सिर्फ खेती नहीं, बल्कि उम्मीद का नया बीज है. पौधे मिलते ही कई किसान अपने खेतों में रोपाई शुरू कर चुके हैं. उनका मानना है कि यदि उत्पादन अच्छा रहा, तो गेंदा का बाजार खुद उनके दरवाजे तक आयेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

