= अंग प्रदेश की लोक गाथा का सबसे बड़ा त्योहार बिहुला-विषहरी पूजा शुरूनमन चौधरी, नाथनगरअंग प्रदेश की लोक गाथा का सबसे बड़ा त्योहार विषहरी पूजा शुरू हो गयी. चंपानगर विषहरी मंदिर को भव्य रूप से सजा कर मां की प्रतिमा स्थापित की गयी है. पंडित संतोष झा ने बताया कि 17 अगस्त दिन रविवार को सुबह चार बजे लखराजी डलिया चढ़ने के बाद आम भक्तों के लिए डलिया चढ़ाने का आदेश होगा. बिषहरी पूजा को लेकर प्राचीन मनसा मंदिर को भव्य रूप में सजाया गया है. माता विषहरी के अलावा अन्य प्रतिमाएं स्थापित की गयी है. यहां दो दिन भव्य मेला लगेगा. सोमवार को महासती बिहुला को सुहागिन स्त्रियां सुहाग की सारी सामग्री अर्पित कर पूजा-अर्चना कर अखंड सुहाग का आशीष लेगी. दोपहर बाद हल्दी का डलिया चढ़ना शुरू हो जाएगा. 18 तारीख के मध्य रात्रि में मां की प्रतिमा विसर्जन की तैयार होगी. प्राचीन मनसा मंदिर के अलावा जगह-जगह विषहरी मंदिरों में माता की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जा रही है.
बाला और बिहुला की होगी शादी, देर रात लोहे के महल में प्रवेश कर डंसेगा सांप
पुरानी लोकगाथा व परंपरा के मुताबिक संध्या में मंजूषा का नगर भ्रमण कर पिंडी पर स्थापित किया जाएगा और मंजूषा डलिया चढ़ाया जाएगा. रात नौ बजे बाला लखेंद्र की भव्य बारात निकलेगी जो लखराज समाज होते हुए नाथनगर सीटीएस रोड होकर मनसा मंदिर वापस आयेगी. इसके बाद पूर्ण विधि-विधान के साथ बाला और बिहुला की शादी होगी. शादी की रात बाला को लोहे के महल में सांप डंसेगा और बाला की मृत्यु हो जाएगी. पुरानी परंपरा के मुताबिक विसर्जन के दौरान बारी कलश उसके पीछे महासति बिहुला मृत पति बाला और मणिहार के साथ चलेगी. सबसे पीछे माता के पांचों स्वरूप भक्तों के कंधे पे चलता है. सेमापुर घाट पर बिहुला के मंजूषा को छेंकने की प्रथा आज भी चली आ रही है. फिर उसी गोकुल गंगा घाट में विसर्जित किया जाता है जहां से बिहुला स्वर्ग की यात्रा मंजूषा पर बैठ कर आरंभ की थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

