प्रभात खबर के अंक में नौ दिसंबर के अंक में प्रकाशित खबर प्रतिमा को संरक्षित करने की मांग पर जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी-सह भागलपुर संग्रहालय के सहायक संग्रहालय अध्यक्ष अंकित रंजन ने संज्ञान लिया. फिर प्रयास कर गुआरीडीह से प्राप्त ब्लैक बैसाल्ट पत्थर पर उकेरी गयी भगवान विष्णु की पालकालीन प्रतिमा को भागलपुर संग्रहालय को मिली. मालूम हो कि गुआरीडीह से अबतक केवल टेरकोटा की सामग्रियां ही प्राप्त होती रही हैं, यह पहली प्रतिमा है, जो पाषाण निर्मित है. घोषित संरक्षित क्षेत्र गुआरीडीह का अंकित रंजन ने निरीक्षण किया. जब जानकारी मिली बिहपुर के जयरामपुर गांव निवासी अविनाश चौधरी ने गुआरीडीह संरक्षित क्षेत्र से कई सालों से पुरातात्विक महत्व के वस्तुओं का संग्रह किया है, तो उनसे मुलाकात की. उन्हें संग्रहित वस्तुओं को संग्रहालय में जमा करने के लिए राजी किया. श्री चौधरी ने बताया कि कुछ दिन पहले इतिहास विभाग की एक रिसर्चर द्वारा स्थानीय ग्रामीण अमित चौधरी द्वारा खोजी गयी भगवान विष्णु की पालकालीन प्रतिमा उनसे ले लिया गया.
अंकित रंजन ने अविनाश चौधरी के संग्रह का भी अवलोकन किया. फिर लिखित रूप में तीन दिनों के अंदर संग्रहालय में जमा करने को कहा गया. फिर रिसर्चर स्कॉलर से फोन पर संपर्क कर उक्त विष्णु प्रतिमा को तत्काल संग्रहालय में जमा करने को कहा गया. भगवान विष्णु की पालकालीन प्रतिमा को संग्रहालय में जमा कर दिया गया. अब जल्द ही विभागीय विशेषज्ञ की देखरेख में गुआरीडीह से प्राप्त विभिन्न सामग्रियों को भी संग्रहालय में जमा करा लिया जायेगा.
ऐतिहासिक व पुरातात्विक वस्तु घर में रखना अपराध
इंडियन ट्रेजर ट्रोव एक्ट 1878 के अनुसार भूमि से प्राप्त किसी भी ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के वस्तुओं को प्राप्ति के तुरंत बाद ही जिला समाहर्ता को सूचित करते हुए, नजदीकी संग्रहालय में जमा करा देना चाहिए न की अपने पास निजी उपयोग अथवा सजावट के लिए रख लेना चाहिए. ऐसा करने पर विधिसम्मत दंड का भी प्रावधान है. साथ ही द एंटीक्विटी एंड आर्ट ट्रेजर एक्ट 1972 में भी पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं को प्राप्ति के तुरंत बाद संग्रहालय में जमा करने का प्रावधान वर्णित किया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

