कहलगांव एकचारी पंचायत के पुरानी बाजार काली मंदिर के प्रांगण में मंगलवार को दूसरे दिन की कथा के दौरान वृंदावन से आये स्वामी मनी प्रकाश जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि मानव के जीवन में गुरु होना बहुत आवश्यक है. जिसके बिना ज्ञान अधूरा होता है. हर मानव की पहली गुरु मां होती है. दूसरा गुरु पिता, तीसरा गुरु शिक्षक होते हैं,तथा चौथा गुरु सतगुरु होते हैं. पहली गुरु मां वह एक मानव के बचपन को तार देती है. दूसरे गुरु जो पिता हैं वह मानव का जीवन सवार देते हैं. तीसरा गुरु शिक्षक हैं वह एक मानव की जीवन को बना देते हैं.तथा चौथ गुरु सतगुरु हैं जो एक मानव के जीवन को बुढ़ापा पर मुक्ति दिला देते हैं.
प्रवचन के दौरान कहा कि अगर आपके जीवन में गुरू नहीं होते तो आपका जीवन कभी भी सफल नहीं हो पायेगा. पशुओं की पहली गुरू उसकी मां होती है. उन्होंने बताया कि मां से बढ़ कर संसार में कोई गुरू नहीं और घर से बढ़कर कोई पाठशाला नहीं. प्रवचन सुनने के लिए एकचारी पंचायत के कोने कोने से कथा श्रवण करने से आये लोगों की भीड़ लग रही है. मौके पर मुखिया प्रतिनिधि प्रमोद कुमार मंडल,एवं थाना प्रभारी कन्हैया कुमार, शशि गुप्ता आदि ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया.परिवार में स्त्री का अहम रोल : वैष्णव महाराज
पीरपैंती प्रखंड के बड़ी चटैया दुर्गा मंदिर प्रांगण में चल रहे रामकथा के आठवें दिन कथावाचक विष्णु वैष्णव महाराज ने नारी धर्म के ऊपर कथा कही. मर्यादा पुरुषोत्तम राम के गुणों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि परिवार में स्त्री का रोल अहम होता है. नारी धर्म को लेकर सभी को जागरूक रहने की जरूरत है. मौके पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे. पति का पत्नी के क्या धर्म होना चाहिए इस बारे में कथावाचक ने सती अनसूया की कथा का उदाहरण प्रस्तुत किया. बताया कि त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु ,महेश ने सती अनसूया की परीक्षा लेने को लेकर भेष बदल के उनके आश्रम पहुंचे. निर्वस्त्र होकर भोजन करने की शर्त रखी. सती अनसूया ने अपने सतीत्व के बल पर तीनों देवों को बालकों में बदल दिया और फिर उन्हें दूध पिला कर पालने में झुलाया. यह कथा न केवल हिंदू धर्म में नहीं, बल्कि नारी शक्ति, पतिव्रत धर्म और त्याग का उदाहरण प्रस्तुत करती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है