सन्हौला सनोखर बाजार में कार्तिक मेला पर श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ को लेकर शुक्रवार को गाजे-बाजे के साथ भव्य कलश शोभायात्रा निकाली गयी. सैकड़ों महिलाएं एवं युवतियां सनोखर बाजार स्थित शिव मंदिर से कलश भरकर पूरे गांव का भ्रमण कर कार्तिक मंडप पहुंची. संध्याकालीन सत्र में सात दिवसीय कथा प्रारंभ हुई. इस अवसर पर काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित हुए. भागवत कथा के यजमान हरिहर तांती हैं. वृंदावन से आई कथा वाचिका देवी नीलमणि के मुखार्विंद से अमृतमयी कथा का रसास्वादन श्रद्धालु सात दिनों तक कर करेंगे. कार्तिक पूजा के यजमान अंकित टेकरीवाल ने बताया कि पांच नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान कार्तिक की प्रतिमा स्थापित की जायेगी. मेला समिति के अध्यक्ष नितिन भगत ने मेले के बारे में बताया कि इस बार मेले में सात नवंबर को छोटे बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिए बच्चों की नृत्य प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी. ग्रामीण बच्चों के साथ बाहर से आये बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे. कोषाध्यक्ष निक्कू कुमार ने कहा कि मेले में बच्चों के लिए तारामाची, ब्रेक डांस, ड्रैगन ट्रेन लगाये जायेंगे. कलश यात्रा के दौरान भीम साह, प्रियांशु राज, अमित गुप्ता, प्रदीप साह, कृष्ण पांडे, प्रमोद मंडल ,शिवांशु, रूपेश, सोल्जर, रौनक सहित मेला समिति के सभी सदस्य व सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे. गुरुवार की शाम में सनोखर थानाध्यक्ष पंकज किशोर ने मेला शांति समिति व ग्रामीणों से मेले के सफल आयोजन के संबंध में बैठक की. थानाध्यक्ष ने मेले के शांतिपूर्ण आयोजन के लिए प्रशासन का पूर्ण सहयोग देने की बात कही.
अक्षय नवमी को दान-पुण्य से मिलती है, आरोग्यता, सुख व समृद्धि
कहलगांव शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में आस्था और विश्वास के साथ श्रद्धालुओं ने अक्षय नवमी तिथि पर ब्रह्मणों को बुला कर आंवला वृक्ष का पूजन व ब्राह्मण भोजन करवा दान-दक्षिणा दे विदा किया. साहित्यवाचस्पति आचार्य रामजी मिश्र रंजन ने बताया कि कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी तिथि भारतीय सभ्यता संस्कृति में प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का महापर्व है. आंवला पूजन पर्यावरण के महत्व को दर्शाता है और लोगों को प्रदूषण से रक्षा करता है. इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन कर परिवार के लिए आरोग्यता व सुख-समृद्धि की कामना करने का शास्त्रीय विधान है. पौराणिक मान्यता है कि आज का अक्षय तप, जप, दान व्यक्ति को सभी संचित पापों से मुक्त कर मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला है. अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु व शिवजी का निवास होता है. आयुर्वेद के मुताबिक इस दिन इस वृक्ष के नीचे बैठने व भोजन करने से रोगों का समूल नाश होता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

