ब्रजेश कुमार/ Flood: भागलपुर में पिछले वर्ष आयी प्रलयकारी बाढ़ के दौरान हजारों एकड़ में लगी धान की फसल काफी क्षति हुई थी. इस बाबत संभावित बाढ़ को देखते हुए डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों के लोगों ने पुरैनी नदी के टूटे तटबंध की अविलंब मरम्मत कराने की मांग की थी. बावजूद, इसके नजरअंदाज कर दिया गया. मानसून प्रवेश करने के साथ नदी में पानी आने पर इसका जलस्तर बढ़ने लगता हैं. वहीं, नदियां ऊफनाने लगती है. ऐसे में माना जा रहा है कि क्षतिग्रस्त बांध पानी का दबाव बर्दाश्त नहीं कर सकेगा. यह अगर टूट गया, तो डेढ़ दर्जन से अधिक गांव के घरों में पानी घुस जायेगा और बाढ़ से हाहाकार की स्थिति बन जायेगी. ग्रामीणों ने तटबंध की सुरक्षा की मांग की है.
चांदन की मुख्यधारा वाली नदी पुरैनी, ऊफनाने पर आती है तबाही
भागलपुर-बांका जिले की सबसे बड़ी और विशाल चांदन नदी है. यह जगदीशपुर प्रखंड में पांच भागों में बंट गयी है. चांदन की मुख्यधारा वाली नदी पुरैनी है. इसमें ही सर्वाधिक पानी आता है और तबाही का मंजर लाता है. इसके अलावा कोकरा, नाढ़ा, खलखलिया व अन्य नदियां है. इसके भी सुरक्षा तटबंध जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है और मरम्मत नहीं करायी गयी है.
तटबंध मरम्मत के नाम पर सिर्फ रखा है मिट्टी भरा बोरा
पुरैनी नदी की क्षतिग्रस्त तटबंध की मरम्मत के नाम पर सिर्फ मिट्टी से भरा बोरा रखा गया है. इसमें भी यह कई जगहों से बह गया है. तटबंध पूरी तरह से खोखला हो गया है. पतला सा तटबंध भागलपुर-जगदीशपुर मुख्य मार्ग से देखा जा सकता है.
इन गांवों पर मंडरा रहा संकट के बादल
बदलूचक, पुरैनी, सारथ, अंगारी, नया टोला, दोस्तैनी, बरडिहा, कोला खुर्द, भड़ोखर, छोटी दोस्तैनी, बड़ी दोस्तैनी, फतेहपुर, भवानीपुर, बलुआचक व अन्य
1995 की बाढ़ से दहल गया था इलाका
अंगारी गांव के अनंदी प्रसाद सिंह ने बताया कि इस नदी के उफनाने के बाद इसके पानी से सर्वाधिक नुकसान अंगारी व इसके बाद के गांवों में होता है. उन्होंने बताया कि साल 1995 में जब नदी उफनायी थी, तो भागलपुर-मंदारहिल रेलवे लाइन तक क्षतिग्रस्त हो गया था. सैकड़ों कच्चे मकान गिर गये थे. झोपड़ियां बह गयी थी. डेढ़ दर्जन से अधिक गांव बाढ़ में डूब गया था. इससे न सिर्फ फसल, बल्कि जान-माल को भी नुकसान पहुंचा था. बाढ़ का पानी कई दिनों से गांवों को डूबा कर रखा था. गरीब-गुरबों के खाने-पीने पर आफत आ गयी थी.
सरकारी चूढ़ा-गुड़ से काटे थे दिन
सरकार की ओर से गुड़-चूढ़ा बांटा गया था. 1995 के बाद भी बाढ़ आने का सिलसिला जारी रहा था. अनिल कुमार ने बताया कि जब बाढ़ आया था, तो कच्चे मकान के छप्पर पर बात बीता था. सुबह चारों ओर तेज धार में पानी बह रहा था. रस्सी के सहारे दूसरे के पक्के के मकान में शरण लिए थे. राजीव कुमार कुमार ने बताया कि घर में पानी घुसने लगा, तो जरूरी सामान लेकर पड़ोसी के पक्के मकान में चले गए थे. रात में ही घर गिर गया था. कई साल तक गिरे हुए घर को बांस के सहारे खड़ा करके उसमें रहे थे.
बाढ़ ने कब-कब मचायी थी तबाही
वर्ष 1980, 1984, 1995, 1999, 2001, 2003 व 2005.
बोले अधिकारी
बाढ़ नियंत्रण कार्य प्रमंडल, भागलपुर के कार्यपालक अभियंता आदित्य प्रकाश ने बताया कि किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है. कुछ किसानों को मुआवजा राशि नहीं मिली है. इस कारण वे तटबंध का मरम्मत करने नहीं दे रहे हैं. विरोध की वजह से तटबंध का मरम्मत कार्य नहीं हो रहा है. मुआवजा देने के लिए फंड भी नहीं है. अलॉटमेंट मांगाने के लिए प्रोसेस किया जा रहा है. फाइल तैयार कर ली गयी है. अगले 10 दिनों में फाइल भेज दी जायेगी. अलॉटमेंट आने के साथ किसानों को मुआवजा राशि बांट दी जायेगी. इसके बाद तटबंध मरम्मत कार्य को योजना में शामिल कर इसकी निविदा निकाली जायेगी और मरम्मत कराया जायेगा.
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