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bhagalpur news. अल्ट्रासाउंड जांच में हर चौथे मरीज का मिल रहा लीवर फैटी

मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के ओपीडी के अल्ट्रासाउंड केंद्र में रोजाना औसतन 100 अल्ट्रासाउंड जांच पेट के रोगों की पहचान के लिए किये जा रहे हैं. जांच में औसतन 25 मरीज फैटी लीवर से पीड़ित मिल रहे हैं.

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वर्ल्ड लीवर डे : गौतम वेदपाणि मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के ओपीडी के अल्ट्रासाउंड केंद्र में रोजाना औसतन 100 अल्ट्रासाउंड जांच पेट के रोगों की पहचान के लिए किये जा रहे हैं. जांच में औसतन 25 मरीज फैटी लीवर से पीड़ित मिल रहे हैं. ऐसे मरीजों में लीवर की गड़बड़ी से पाचन संबंधी समस्याएं समेत डायबिटिज, ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम समेत कई तरह की बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है. जेएलएनएमसीएच के गैस्ट्रो एंट्रोलॉजिस्ट डॉ राजीव सिन्हा बताते हैं कि जिस तरह से देश में ब्लड प्रेशर व शुगर की बीमारी महामारी का रूप ले रही है. लीवर से जुड़ी बीमारियां साथ-साथ बढ़ रही है. इसका मुख्य कारण मोटापा, कम नींद, खराब खानपान, शारीरिक गतिविधि व एक्सरसाइज की कमी और अनियमित रूटीन है. उन्होंने बताया कि भारत में फैटी लीवर रोग एक उभरती हुई स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है. विश्व लीवर दिवस पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि अपने लीवर की देखभाल को प्राथमिकता देंगे. स्वस्थ लीवर, स्वस्थ जीवन की दिशा में छोटे-छोटे प्रयास, बड़े परिणाम ला सकते हैं. बिना शराब पिये लीवर की बीमारी फैटी लीवर जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां पहले महानगरों तक सीमित थीं, लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों तक फैल चुकी हैं. इससे न केवल उपचार की लागत बढ़ी है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर भी भारी बोझ पड़ा है. लीवर ट्रांसप्लांट जैसी महंगी प्रक्रियाएं आम जनता की पहुंच से बाहर हैं. पहले शराब पीने वाले लोगों में फैटी लीवर की शिकायत रहती थी. लेकिन अब जो शराब नहीं पीते वह खाने में मिले केमिकल समेत अन्य कारणों से इसकी चपेट में आ रहे हैं. बेहतर आहार से खतरा कम : डब्ल्यूएचओ ने 1.21 लाख से अधिक लोगों के लीवर टेस्ट के डेटा का विश्लेषण किया. शोधकर्ताओं ने पाया कि जो नियमित रूप से एंटी-इंफ्लेमेटरी आहार का सेवन करते हैं, उनमें क्रॉनिक लीवर रोग होने का खतरा 16 प्रतिशत कम था. आहार में हरी सब्जियों-फलों व नट्स की मात्रा को बढ़ाकर आप अपने लीवर को स्वस्थ रख सकते हैं. ————————- मुख्य कारण: – जंक फूड और हाई-फैट डाइट का अत्यधिक सेवन – नियमित व्यायाम की कमी – मोटापा और डायबिटीज – अत्यधिक शराब का सेवन (अल्कोहलिक फैटी लीवर) – तनाव और अनियमित दिनचर्या ———————– फैटी लीवर के लक्षण – फैटी लीवर की प्रारंभिक अवस्था में लक्षण प्रकट नहीं होते, लेकिन समय के साथ यह लीवर सूजन (हेपेटाइटिस), लीवर फाइब्रोसिस और सिरोसिस में बदल सकता है. – यह लीवर कैंसर और लीवर फेलियर का भी कारण बन सकता है. – रोगी की कार्यक्षमता घट जाती है और स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है. ——————- उपाय और बचाव: – संतुलित और पौष्टिक आहार लें, इनमें कम फैट, कम शक्कर, अधिक फाइबर हो – प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट शारीरिक गतिविधि करें – शराब और तंबाकू से दूर रहें – नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराएं, विशेष रूप से जिनका वजन अधिक है या जिन्हें डायबिटीज है – तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान और पर्याप्त नींद लें

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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