सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ सुलतानगंज में भक्ति, आस्था और स्वच्छता से मनाया जा रहा है. श्रद्धालु पूरी श्रद्धा से छठ पर्व मनाने दूर-दूर से सुलतानगंज पहुंचे हैं. दूर-दूर से श्रद्धालु पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान कर व्रत आरंभ करने पहुंचे हैं. नप और स्थानीय समितियों ने घाटों की साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था पर विशेष ध्यान दी है. प्रभात खबर से बातचीत में पूजा कुमारी ने कहा कि सूर्योपासना का पर्व है छठ. भारत में ही डूबते सूर्य को अर्घ दिया जाता है और सूर्य देव से प्रार्थना की जाती है कि हे प्रभु अपने पूरे तेज के उदीयमान हो. हम आपकों अर्घ देने का इंतजार करेंगे. संगीत शिक्षिका शालिनी कुमारी बिहार सरकार के पर्यावरण गीत की रचयिता हैं ने बताया कि छठ पर्व का उल्लेख 13वीं सदी के मिथिला साहित्यकार चंडेश्वर की पुस्तक ‘कृत्य रत्नाकर’ में और 15वीं सदी के निबंधकार रूद्रधर की कृत्य ग्रंथ में मिलता है. उन्होंने कहा कि छठ एक ऐसा पर्व है, जो बिना किसी कर्मकांड और पुरोहित के संपन्न होता है, जिसमें स्वच्छता और शुचिता का विशेष ध्यान रखा जाता है. स्वाति कुमारी ने कहा कि छठ पर्व हमारी अस्मिता, पहचान और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है. यह पर्व हमें प्रकृति से जोड़ता है. अपर रोड की रेखा देवी ने बताया कि छठ पर्व हमारी संस्कृति, प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ने का अद्भुत अवसर प्रदान करता है. यह पर्व जीवन को निरोग और अनुशासित बनाने का अमूल्य संदेश देता है. डॉ श्यामसुंदर आर्य ने कहा कि इस पर्व में स्वच्छता, सहभागिता और सात्विकता का अमूल्य संदेश निहित है. डॉ कुमारी अलका चौधरी ने कहा कि छठ मइया के कृपा से अद्भुत मानसिक और आत्मिक शक्ति मिलती है. गौतम सिन्हा ने कहा कि छठ पर्व प्रकृति की विरासत को समृद्ध करने का प्रतीक है और अब यह पर्व वैश्विक पहचान हासिल कर रहा है. नमिता झा ने कहा कि छठ हमारी संस्कृति को जीवित रखने में सेतु का कार्य कर रहा है.
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