सुलतानगंज और अकबरनगर में बाढ़ का कहर लगातार जारी है. शनिवार को अकबरनगर प्रखंड के श्रीरामपुर गांव में गंगा का पानी घुसने से 3,500 से अधिक परिवार प्रभावित हो गए. पानी का स्तर बढ़ने के बाद अकबरनगर से भागलपुर जाने वाली मुख्य सड़क को बैरिकेडिंग कर बंद कर दिया गया है. चारों ओर पानी फैलने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. जिला प्रशासन ने आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर सामुदायिक किचन शुरू कराए हैं और कई जगह नाव की व्यवस्था की है. गांव डूब जाने के बाद लोग मुख्य सड़कों और रेलवे लाइन के किनारे शरण ले रहे हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सबसे बड़ी समस्या पशुओं के लिए चारा की है. पशुपालकों का कहना है कि पूरा इलाका जलमग्न हो गया है और मवेशी सड़कों पर खड़े हैं. चारा उपलब्ध नहीं होने से संकट गहराता जा रहा है. एनएच पर तीन फीट पानी का बहाव गंगा के बढ़ते जलस्तर से बाढ़ की स्थिति और विकराल हो गई है. शनिवार को एनएच-80 पर भवनाथपुर के समीप लगभग 500 मीटर लंबे हिस्से में करीब तीन फीट तक पानी का तेज बहाव होने के कारण प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से वाहनों का परिचालन पूरी तरह बंद कर दिया. रिंग बांध के ऊपर से बहा पानी, श्रीरामपुर गांव डूबा शुक्रवार देर रात गंगा का पानी श्रीरामपुर गांव के चारों ओर बने रिंग बांध के ऊपर से बह गया, जिससे पूरा गांव जलमग्न हो गया. इसके चलते हजारों परिवार प्रभावित हो गए हैं. अकबरनगर थाना क्षेत्र के इंग्लिश चिचरौन, गंगापुर, बसंतपुर, खेरैहिया सहित कई गांव पूरी तरह पानी में डूबा है. कई विद्यालयों में बाढ़ का पानी भर जाने से पठन-पाठन बंद है. सामुदायिक किचन की शुरुआत नगर पंचायत अध्यक्ष किरण देवी ने अंचलाधिकारी से सामुदायिक किचन शुरू करने की मांग की थी. मांग पर कार्रवाई करते हुए शनिवार से दो स्थानों पर सामुदायिक किचन शुरू किया गया है, जहां बाढ़ पीड़ितों को सुबह व शाम भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. राहत कार्यों पर राजनीति गरमाई जनसंसद के संरक्षक अजीत कुमार ने आरोप लगाया कि प्रभावित क्षेत्रों में अब तक पर्याप्त राहत सामग्री नहीं पहुंचाई गई है. कहा कि लोगों को पानी, शौचालय और दवाई के लिए भटकना पड़ रहा है. नावों की कमी है. राजद नेता नटबिहारी मंडल ने कहा कि प्रशासन पीड़ितों की सुध नहीं ले रहा है, जिससे खाने-पीने और स्वास्थ्य सेवाओं का संकट है. प्रशासन का दावा, मदद जारी सीओ रवि कुमार ने बताया कि राहत सामग्री लगातार पहुंचाई जा रही है. पशु चारे के लिए पशुपालन विभाग को पत्र भेजा गया है और पीएचईडी को पेयजल व शौचालय की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है. दुर्गम इलाकों में नाव से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और शरणस्थलों पर सभी सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं.
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