– आगरा में थल सेना के पैरा ब्रिगेड में कर्नल पद पर तैनात है संजीत शंकर सहाय- थल सेना के स्पेशल फोर्स की कर रहे हैं अगुवाई
– कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को शिकस्त देने में निभायी थी अहम भूमिकाललित किशोर मिश्र, भागलपुर
देश के आन-बान-शान की रक्षा के लिए देश के तीनों सेना में तैनात सैनिक पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकत का जवाब देने के लिए हरदम तैयार है. एक जवाब वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर से आतंकवाद के पनाहगार को करारा जवाब दिया है. पाकिस्तान को इस बार जवाब देने के लिए पूरा देश तैयार है कि आने वाले वर्षों-वर्षों तक पाकिस्तान व आतंकवाद सिर नहीं उठा सके. देश की रक्षा के लिए भागलपुर के लाल कर्नल संजीत शंकर सहाय पूरी तरह थल सेना के स्पेशल फोर्स के साथ तैयार हैं. शहर के कचहरी चौक के आगे शिव भवन कैंपस स्थित एयर कमोडोर अजीत सहाय के बेटे हैं संजीत शंकर सहाय.हमारी स्पेशल फोर्स है तैयार, बस आदेश का इंतजार
कर्नल सहाय ने कहा कि हमारी स्पेशल फोर्स की तैयारी हमेशा रहती है. फोर्स 24 घंटे तैयार रहता है. कोई भी आदेश मिला, तो फोर्स चलने के लिए तैयार है. हमारी थल सेना की स्पेशल फोर्स पूरी तरह तैयार है. कर्नल आगरा में थल सेना के पैरा ब्रिगेड में स्पेशल फोर्स का नेतृत्व कर रहे हैं. इस स्पेशल फोर्स को युद्ध के समय एयर लिफ्ट कर दुश्मनों को धूल चटाने के लिए भेजा जाता है और धूल चटा के आ भी जाते हैं. वो कहते हैं कि कारगिल युद्ध में भी दुश्मनों को देश की सेना ने धूल चटाने का काम किया था. जब-जब पाकिस्तान ने भारत से युद्ध किया उसे हार का मुंह देखना पड़ा.1965 व 71 में पाकिस्तान युद्ध के गवाह रहे हैं पिता एयर कमोडोर अजीज सहाय
एक ओर जहां अपने देश को दुश्मनों से रक्षा के लिए कर्नल संजीत शंकर सहाय लगे हुए हैं. वहीं, दूसरी ओर 1965 व 71 में पाकिस्तान से युद्ध के गवाह बने वायुसेना से सेवानिवृत एयर कमोडोर अजीत सहाय हैं. जो कर्नल के पिता हैं. अभी वो अपने परिवार के साथ शिव भवन कैंपस स्थित अपने आवास पर रहते हैं. अभी भारत व पाकिस्तान के बीच तनाव पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि दो बार पाकिस्तान को मुंहकी खानी पड़ी, तो इस बार भी पाकिस्तान को हारना ही होगा. कहा कि 1965 में पाकिस्तान युद्ध के समय गाजियाबाद के हिंडन एयर बेस में फ्लाइंग ऑफिसर के पद पर थे. 1971 के युद्ध में स्वायन लीडर के पद पर था. वो कहते हैं उस समय वायुसेना के पास हंटर हवाई जहाज था. जिससे रॉकेट व बम लेकर जाता था. उस समय टारगेट कर रॉकेट को छोड़ा जाता था और रेंज था. लगभग ढाई किलोमीटर तक मिसाइल अपने टारगेट को खाेज कर निकाल लेता है.ऑपरेशन एंटी टेररिज्म के लिए मिला था कश्मीर में अवार्ड
कर्नल संजीत शंकर सहाय जब कश्मीर में थे उस समय ऑपरेशन एंटी टेररिज्म के लिए आर्मी ने अवार्ड दिया था. उन्होंने बताया कि जब वो भागलपुर में एनसीसी कैडेट कोर में लेफ्टिनेंट कर्नल पद पर थे. उस समय मैं एनसीसी की पांच लड़की व पांच लड़के को 15 दिन के लिए रसिया ले गया था.
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