सुलतानगंज विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सुलतानगंज में पुरानी मांगों व अधूरे सपनों की गूंज एक बार फिर सुनाई देने लगी है. कोई उम्मीदवार को बीते वादों की याद दिला रहा है, तो कोई नये संकल्पों के साथ जनता का विश्वास जीतने की कोशिश कर रहा है. जनता का कहना है, अब वादा नहीं, काम चाहिए. सुलतानगंज की सबसे पुरानी व महत्वपूर्ण मांग अनुमंडल का दर्जा. पिछले 20 वर्षों से यह मांग हर चुनाव में उठती रही है. जनता को आज भी याद है जब तत्कालीन विधायक गणेश पासवान ने विधानसभा में इस मुद्दे को पुरजोर ढंग से उठाया था. उस समय उम्मीद जगी थी कि सुलतानगंज को अनुमंडल का दर्जा मिलेगा, लेकिन सरकार बदलते ही मांग ठंडे बस्ते में चली गयी. दूसरी बड़ी समस्या महिला अस्पताल में प्रसव सुविधा का बंद होना है. पूर्वी बिहार के इस एकमात्र महिला अस्पताल में वर्षों से प्रसव की सुविधा ठप है. कई बार इसे पुनः शुरू कराने की कवायद हुई, लेकिन प्रयास अधूरा रह गया. उच्च शिक्षा पीजी की पढ़ाई का मुद्दा वर्षों से चर्चा में है. 11 नवंबर को मतदान है. चुनाव में उम्मीदवार एक बार फिर विकास की नयी तस्वीर पेश करने का वादा कर रहे हैं. मतदाताओं का मानना है कि इस बार मुद्दा केवल राजनीति नहीं, बल्कि वास्तविक विकास और जनसुविधा होगा. सुलतानगंज के स्वास्थ्य ढांचे की स्थिति आज भी चिंताजनक है. सरकारी अस्पताल में रात में आपातकालीन सेवा (इमरजेंसी) की कोई सुदृढ़ व्यवस्था नहीं होने से मरीजों को परेशानी होती है. लोगों का कहना है कि इस बार चुनाव में वह ऐसे प्रत्याशी को चुनेंगे, जो घोषणाओं को धरातल पर उतारे. स्थानीय बुजुर्ग ने कहा, हर बार नेता आते हैं, वादे करते हैं और चले जाते हैं. इस बार हम काम देख कर वोट देंगे. जनता का कहना है कि इस बार वह ऐसे प्रत्याशी को चुनेंगे जो वास्तव में घोषणाओं को अमल में लाने का कार्य करे. मतदाताओं ने साफ कहा कि अब भरोसे की राजनीति नहीं, बल्कि कार्यक्षमता और ईमानदारी के आधार पर मतदान होगा. जो हमारे मुद्दों को पूरा करेगा, वही हमारा प्रतिनिधि बनेगा.
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