भागलपुर के कलाकार कला-संस्कृति की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए समय-समय प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश-विदेशों में अपनी कला की प्रस्तुति देकर धूम मचा रहे हैं. इन दिनों सूफियाना बैंड के जरिये कलाकारों की टीम प्रदेश व प्रदेश के बाहर अपनी गायकी के माध्यम से धूम मचा रही है. वहीं शास्त्रीय नृत्य गुरु निभाष मोदी अपने शास्त्रीय नृत्य का जलवा प्रदेश व प्रदेश के बाहर बिखेर रहे हैं. इतना ही नहीं अब तो नि:शुल्क नृत्य का प्रशिक्षण दे रहे हैं. सूफी बैंड के कलाकार मन मोह लेते हैं हाल के दिनों में सामूहिक प्रस्तुति देने के लिए तबला गुरु अनुमेह मिश्रा के निर्देशन में सूफियाना बैंड की टीम बनायी गयी. टीम के कलाकार कला-संस्कृति युवा विभाग, बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव से सम्मानित हो चुके हैं. बॉलीवुड सिंगर शब्बीर कुमार के साथ अपनी प्रस्तुति देकर उनका दिल जीत लिया. आज सोनपुर मेला में प्रस्तुति देंगे सूफियाना बैंड के कलाकार पिछले चार साल में भागलपुर, बांका, मुंगेर, राजगीर, पटना, जहानाबाद, बक्सर, वैशाली, जमुई, गया, बौद्धगया आदि में आयोजित 19 महोत्सव में अपनी सामूहिक प्रस्तुति दे चुके हैं. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव आदि राजनेताओं से सम्मानित हो चुके हैं. नौ दिसंबर को विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला 2025 में सूफियाना बैंड के कलाकार प्रस्तुति देंगे. ………. भागलपुर में शास्त्रीय नृत्य कथक को नयी पहचान दे रहे हैं नृत्य गुरु निभाष मोदी शास्त्रीय नृत्य कथक की समृद्ध परंपरा को जीवंत बनाये रखने और नयी पीढ़ी तक पहुंचाने का काम निभाष मोदी ने शुरू किया है. नृत्य गुरु निभाष मोदी न सिर्फ बच्चों को कथक नृत्य का प्रशिक्षण दे रहे हैं, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण देकर कला साधना को समाज सेवा से भी जोड़ रहे हैं. वर्तमान समय में वे करीब 25 बच्चों को निशुल्क कथक सिखा रहे हैं, जबकि अब तक लगभग हजारों बच्चे उनके मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं. निभाष मोदी द्वारा प्रशिक्षित कई विद्यार्थी आज शिक्षा विभाग में म्यूजिक शिक्षक, कला एवं संस्कृति पदाधिकारी, रेलवे, डिफेंस विभाग सहित विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रहे हैं. यह उनके समर्पित गुरु-शिष्य परंपरा और कठोर प्रशिक्षण का ही परिणाम है. निभाष मोदी का मानना है कि कथक सिर्फ नृत्य नहीं, बल्कि एक व्याकरण है. जिस तरह बिना व्याकरण के न तो सही बोला जा सकता है और न लिखा जा सकता है, उसी तरह बिना ताल, लय के गणित के नृत्य शुद्ध नहीं हो सकता. उन्होंने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति देकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. उन्हें शास्त्रीय नृत्य कथक फेलोशिप सम्मान, आंबेडकर–फुले फेलोशिप सम्मान, कला कोविद सम्मान, कलाश्री सम्मान, चक्रवर्ती देवी स्मृति सम्मान, डॉ चतुर्भुज सम्मान देश के विभिन्न हिस्सों में मिल चुका है.
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