बाबा गणिनाथ धाम में आयोजित श्रीश्री 108 बाबा गणिनाथ का 21वां वार्षिक पूजन उत्सव में शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. भक्तों ने बाबा के दरबार में माथा टेक कर सुख,शांति और समृद्धि की कामना की. पूजनोत्सव की शुरुआत प्रातः सुंदरी पूजन से हुई. वैदिक मंत्रोच्चारण व परंपरागत सुंदरी पूजा बाबा के चढ़ावा से मंदिर परिसर का माहौल भक्तिमय हो गया. मंदिर के पुजारी ने बाबा को फल, पुष्प व मिष्ठान अर्पित किया. पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि सच्चे मन से की गयी पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पूजा के बाद भंडारे में हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया. भव्य शोभा यात्रा खरीक बाजार से काली मंदिर तक निकाली गयी.खुला अधिवेशन व पूजनोत्सव का उद्घाटन दीप प्रज्वलित व फीता कर भागलपुर के जिप के पूर्व अध्यक्ष अनंत प्रसाद उर्फ टुनटुन साह, पूर्व जिप सदस्य सीमा गुप्ता, इं नंदकिशोर साह, इंदु देवी, दल्लू प्रसाद यादव, मनीष अकेला, परशुराम साह ने संयुक्त रूप से किया. पूर्व जिप अध्यक्ष ने कहा कि बाबा गणिनाथ धाम खरीक में भव्य मंदिर का निर्माण होगा, इसके लिए सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट रहना होगा. बाबा गणिनाथ को बिहार ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लोग पूजते हैं. भागलपुर के इं नंदकिशोर साह ने कहा कि लोक संस्कृति और साहित्य के समागम स्थल के रूप में विख्यात बाबा गणिनाथ धाम खरीक में भक्तों का ताता लगा रहता है.पुनरुत्थान पत्रिका के संपादक गोपाल भारतीय ने बाबा गणिनाथ पर प्रकाश डाला. कटिहार से आये मनोज साह और मनीष अकेला ने मेला को विस्तार से लगाने एवं मंदिर की सर्वांगीण विकास के बाबा के पद चिह्नाें पर चलने की बात कही. समारोह को निरंजन प्रसाद साह और शंकर प्रसाद साह ने संबोधित किया. विशाल शोभायात्रा व गणिनाथ रथ को नगर भ्रमण कराया गया. कार्यक्रम को सफल बनाने मेंपरशुराम साह, दिनेश प्रसाद साह, अशोक साह, महेश साह, विनोद कुमार, प्रिंस कुमार, रेणु देवी, शंकर प्रसाद साह, रेणु देवी, पिंकू साह, विजय साह निरंजन साह लगे थे. मुख्य अतिथि पूर्व जिप अध्यक्ष, निरंजन साह, शंकर प्रसाद उर्फ दल्लू यादव ने सकहा कि हलवाई व मध्यदेशीय वैश्य समाज के लोग शिक्षा फोकस करें. अपने बच्चों को समुचित तालीम दें, अन्यथा आपके बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ जायेगे. खुला अधिवेशन में पुरानी कमेटी को भंग कर नयी कमेटी का गठन किया गया. कुल देवता बाबा गणिनाथ महाराज को बाबा भगवान शंकर का मानस पुत्र माना जाता है. विक्रम संवत 1007 में श्री मनसा राम और शिवादेवी के गर्भ से गुरलामान्धता पर्वत पर उनका जन्म हुआ. शिशु गणीनाथ का पालन-पोषण कांदू (मध्यदेशीय) वैश्य परिवार के धर्मपिता मनसा राम ने किया. प्रारंभिक शिक्षा गुरुकुल में प्राप्त करने के बाद वह गुरु गोरख नाथ के सानिध्य में वर्षों तक तपस्या करते रहे और सिद्धियों पर अधिकार प्राप्त किया. गणिनाथ महाराज पलवैया (बिहार) आये और वहां गणराज्य की स्थापना कर समतामूलक शासन स्थापित किया. पलवैया में गणीनाथ मंदिर, संस्कृत पाठशाला, कुआं और पोखरा आज भी उनकी स्मृति जीवित रखते हैं. उन्होंने शांति और अहिंसा का संदेश दे वेदाध्ययन को ब्राह्मणों की चंगुल से मुक्त करा आम जनता तक पहुंचाया. वंशवृक्ष स्मारिका के अनुसार उनका विवाह झोटी साह की पुत्री क्षेमा सती से हुआ. उन्हें शिव का अवतार माना गया. विक्रम संवत 1112 में नवरात्रि पर आयोजित श्री रामजन्मोत्सव एवं शक्ति आराधना के बाद उन्होंने अपने देहत्याग किया. बाबा गणिनाथ का जन्म मध्य भारत में हुआ था. वह संपूर्ण जीवन में भक्ति, साधना और समाजसेवा के लिए प्रसिद्ध रहे. निर्धनों व असहायों की मदद की और सत्संग,भजन और साधना से लोगों को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर किया. पूजा समिति ने बताया कि इस वर्ष भक्तजन पलवैया, वैशाली, मुंगेर, कटिहार, पूर्णिया, खगड़िया, बेगूसराय, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज और पटना सहित बिहार के विभिन्न जिलों से पहुंचे. रात्रि में भक्ति संगीत, झांकी और माता जागरण हुआ. पूजा समिति ने सभी भक्तों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया. मंदिर परिसर में श्रृद्धालुओं ने मुंडन संस्कार कराया.
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