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bhagalpur news. निःसंतान संतोष ने भांजे को संतान के रूप में चार साल तक रखा, विवाद के बाद मामा बन गया कसाई

नाथनगर थानाक्षेत्र के मसकन बरारी के संतोष ने जिस तरह भांजे अभिषेक की हत्या करायी उससे लोग हतप्रभ हैं.

अभिषेक हत्याकांड

नाथनगर थानाक्षेत्र के मसकन बरारी के संतोष ने जिस तरह भांजे अभिषेक की हत्या करायी उससे लोग हतप्रभ हैं. स्थानीय लोगों कि मानें तो संतोष दास निःसंतान है. इसलिए उसने अपने भांजे अभिषेक को अपने घर लाया और संतान के तरह रख रहा था. अपने वैध -अवैध कारोबार में भी उसे शामिल किया था. पैसे का भी हिसाब किताब भांजा रखता था. सब ठीक चल रहा था. पर बीच में एक लड़की क्या आयी मामा-भांजे में विवाद पैदा करा दिया. सूत्रों कि माने तो लड़की से मामा और भांजा दोनों प्यार करता था. वहीं लड़की भी डबल गेम खेल रही थी. वो भी दोनों से रिश्ता रख रही थी. एक दूसरे का बात दोनों को बताती थी. उधर अभिषेक भी मामा को उस लड़की से दूर करना चाह रहा था. इसलिए उनकी प्रेम कहानी मामी को बता देने की लगातार धमकी दे रहा था. उधर संतोष दास लड़की के प्यार में इस कदर पागल था कि वो उससे दूर होना नही चाह रहा था. धीरे-धीरे संतोष का अपने भांजे के प्रति आक्रोश बढ़ता गया. फिर बीच में साइबर ठगी व महिलाओं से आनलाइन काॅलिंग कर पुरुषों से चिकनी चुपड़ी बात कराकर पैसे कमाने के धंधे में भी दोनों मामा भांजे के बीच पैसे कि हिस्सेदारी को लेकर विवाद बढ़ गया.

मामा चाह रहा था कि भांजा मरते समय तड़पेमामा संतोष ने भांजे की हत्या के लिए आयुष, राधे व ऋतिक को तैयार किया. सूत्रों की माने तो तीनों आरोपियों ने अभिषेक की जांघ मे गोली मार कर फिर उसका गला दबा दिया था. हत्यारे उसका शव ठिकाने लगाने के फिराक में था. पर मामा संतोष कि इच्छा थी कि उसे ऐसे मारकर न फेंका जाये. भांजे को मरने के बाद संतोष ने उसके शरीर के टुकड़े करने का निर्देश आरोपियों को दिया. रन्नूचक स्थित सुनसान मकान में अभिषेक को प्लास्टिक बिछा कर उस पर लाश रख कर आरी से धीरे धीरे तीन घंटे में तीन टुकडे किया ताकि जल्दी जल्दी काटने पर खून फब्बारे के तरह बाहर न निकले. खून जमीन पर नहीं बिखरे इसके लिए आरोपियों ने गड्ढा खोद रखा था. अभिषेक का शव टुकड़े करने के बाद मिट्टी से ढक दिया.

तकनीकी जांच से हो गया पर्दाफाशसंतोष दास ने भांजे का हत्या काफी शातिराना अंदाज म़े कराया था. हत्यारे भी अभिषेक का दोस्त चुना जिसके कहने पर अभिषेक चाय पीने के बहाने दोगच्छी चला गया. संतोष ने आरोपियों से बात भी वाट्सएप वॉयस मैसेज के जरिए ताकि तकनीकी जांच में वो बच जाये. पत्नी का फोन आने पर आरोपियों ने बंदूक के नोक पर अभिषेक से पत्नी को जमालपुर मे होने की बात कहलवायी. संतोष ने भी दिखावे के लिए फोन कर पूछा कि वो घर क्यों नहीं आया है. आरोपियों को यह भी कह रखा था कि पकड़े जाने पर आरोपित यह बताकर कृत्य अपने उपर ले लेगा कि मोबाइल के विवाद में उनलोगों ने अभिषेक की हत्या कर दी. जब हत्या हो गयी तो संतोष कंप्लेन करने थाना भी पहुंच गया. पर लिखित शिकायत देने पर मामा संतोष की घबराहट, आरोपियों व अभिषेक के बीच बातचीत ने पुलिस का शक बढ़ाया. पहले आरोपित रितेश को पुलिस ने उठाया. उसके निशानदेही पर बाकि दो ऋतिक व राधे को पकड़ा गया. तीनों ने पुलिस से मोबाइल लेनदेन के विवाद मे अभिषेक की हत्या करने की बात कबूली. पर बदमाशों के निशानदेही पर जब शव बरामद किया गया तो पुलिस चौंक गयी. शव मे न सिर था न पैर. पुलिस को ये बात नहीं पच रही थी कि इस तरह से जघन्य हत्या सिर्फ मोबाइल के मामूली विवाद मे नहीं हो सकती है. तीनों आरोपितों के पकड़े जाने के बाद भी संतोष निश्चिंत था कि खून का इल्जाम उसके माथे नही आयेगा. इसलिए वो भागने के बजाय सामान्य रूप से घूम फिर रहा था. अपराध मामले के जानकार कहते हैं कि अगर अभिषेक का जघन्य रूप से हत्या नहीं हुई होती तो शायद संतोष पर पुलिस शक नहीं करती. वही आरोपियों द्वारा अभिषेक के अकाउंट से अपने अकाउंट मे पैसे ट्रांसफर कराना, मृतक का ब्लूटूथ व कड़ा अपने घर पर रखना व आरोपियों का हत्या कर चौकन्ना रहने के बजाय नशे करके आराम से घर में सोने के कारण पुलिस मास्टरमाइंड तक पहुंच गयी.

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