कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी आते ही सुलतानगंज नगर में भक्ति और उल्लास का माहौल छा गया है. शनिवार को देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु के जागरण की तैयारी हैं. चार महीने की शयनावस्था के बाद जब भगवान विष्णु जागेंगे, तो धर्म, संस्कार और शुभ कार्यों की शुरुआत होगी. गांव से लेकर नगर तक हर घर में उठो देव शयन से की मधुर ध्वनि गूंजेगी. श्रद्धालु सुबह से ही उपवास व पूजा की व्यवस्था में जुटे हैं.
वैदिक परंपरा से जुड़ा आस्था का पर्व
पंडित शालीग्राम झा बताते हैं कि देवोत्थान एकादशी का महत्व वैदिक युग से चला आ रहा है. चातुर्मास के चार महीनों तक भगवान विष्णु योगनिंद्रा में रहते हैं. इस अवधि में विवाह, उपनयन, गृहप्रवेश जैसे मंगल कार्य नहीं किये जाते. देवोत्थान एकादशी के बाद ब्रह्मांड में पुनः शुभता का संचार होता है.गन्ना, सुथनी व शकरकंद बने पूजा का मुख्य अंश
व्रत के दिन भक्तजन भगवान शालीग्राम की पूजा गन्ने से करते हैं. गन्ना मिठास व समृद्धि का प्रतीक है. सुथनी और शकरकंद का भोग भगवान को चढ़ाया जाता है. घरों में दीया, धूप, पुष्प व तुलसी से पूजा अर्चना की तैयारी पूरी कर ली गयी है.बाजारों में भक्तों की भीड़, बढ़ी पूजा सामग्री की मांग
देवोत्थान एकादशी को लेकर सुलतानगंज के बाजार में खास रौनक देखने को मिल रही है. पूजा की दुकानों पर सुथनी, गन्ना और शकरकंद की खरीदारी में लोग जुट गये.
श्रद्धा, समर्पण और नवप्रेरणा का दिन
यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मानव जीवन में अनुशासन और समर्पण की प्रेरणा देने वाला दिन है. मांगलिक कार्य जैसे विवाह, नामकरण और गृहप्रवेश की शुरुआत होती है. देवोत्थान एकादशी व्रत को आस्था का नववर्ष कहा जाता है. पूरे समाज में उत्सव का मौसम लौट आता है.उमड़ी भीड़, जाम से हुई परेशानी
देवोत्थान एकादशी के एक दिन पूर्व शुक्रवार को अजगैवीनाथ मंदिर घाट, सीढ़ी घाट और नमामि गंगे घाट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. पिछले तीन दिनों से श्रद्धालु यहां मुंडन संस्कार, गंगा स्नान और गंगाजल भरने पहुंच रहे हैं. सुबह से ही घाटों पर सैकड़ों श्रद्धालु अपने परिजनों के साथ सुलतानगंज पहुंचे. स्थानीय लोगों ने बताया कि मुंडन का शुभ मुहूर्त होने से गुरुवार देर रात से ही लोग गंगा तट पर पहुंचने लगे थे. शहर के प्रमुख मार्गों पर वाहनों का दबाव बढ़ गया. स्टेशन रोड, अपर रोड, कृष्णागढ़ मोड़, बायपास रोड सहित अन्य मार्गों पर घंटों लंबा जाम लगा रहा. कई जगहों पर वाहन रेंग-रेंग कर चल रहे थे, जबकि श्रद्धालु पैदल ही घाट की ओर निकल पड़े..थानाध्यक्ष के निर्देश पर पुलिस बल की तैनाती की गयी थी, लेकिन भीड़ अधिक होने से पुलिस को जाम हटाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

