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जानें महाभारत काल से मकर संक्रांति का क्या है कनेक्शन, गरीबों को दें दान मिलेगा पुण्‍य

-शुभ मुहूर्त : महापुण्य काल आज सुबह 7.19 से 9. 03 बजे तक, संक्रांति स्नान ब्रह्म मुहुर्त से ही, होंगे मांगलिक कार्यभागलपुर : इस बार भी 15 जनवरी बुधवार को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्य का मकर राशि में आगमन 14 जनवरी मंगलवार की मध्य रात्रि के बाद […]

-शुभ मुहूर्त : महापुण्य काल आज सुबह 7.19 से 9. 03 बजे तक, संक्रांति स्नान ब्रह्म मुहुर्त से ही, होंगे मांगलिक कार्य
भागलपुर :
इस बार भी 15 जनवरी बुधवार को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्य का मकर राशि में आगमन 14 जनवरी मंगलवार की मध्य रात्रि के बाद रात 2 बजकर 7 मिनट पर हो रहा है. मध्य रात्रि के बाद संक्रांति होने के कारण पुण्य काल का मान ब्रह्म मुहूर्त से लेकर दोपहर तक होगा.

ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा ने बताया कि उदया तिथि के कारण मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को हो रहा है. शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति शाम को होता है तो इसे अगले दिन माना जाता है. उदया तिथि में मकर संक्रांति है. उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति में ‘मकर’ शब्द मकर राशि को दर्शाता है. संक्रांति का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है. एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं.

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
15 जनवरी को संक्रांति काल 07.19 बजे और पुण्यकाल 7.19 से 12.31 बजे तक है. महापुण्य काल 15 जनवरी को सुबह 7.19 से 9. 03 बजे तक है. वहीं संक्रांति स्नान प्रात: काल ब्रह्म मुहुर्त से शुरू हो रहा है. इस दौरान होगी भीड़.

-खरमास का समापन 16 से विवाह एवं मांगलिक कार्य शुरू होंगे : शास्त्रों के अनुसार मलमास का समापन हो गया है. 16 जनवरी से विवाह, यज्ञोपवीत संस्कार, वास्तु पूजन, नींव पूजा, घर प्रवेश, नये व्यापारिक मुहूर्त आदि कई तरह के शुभ कार्य शुरू होंगे. वहीं नामकरण संस्कार व नक्षत्र शांति पूजा कर सकेंगे.

संक्रांति पर करें जरूरतमंदों को दान: मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने की मान्यता है. इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है. इस दिन से सभी शुभ कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी समाप्त हो जाता है. शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चयन किया था. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. साथ ही महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए इस दिन तर्पण किया था. यही वजह है कि मकर संक्रांति के दिन गंगासागर समेत सभी गंगातटों पर हर साल लाखों लोग स्नान ध्यान के लिए जुटते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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