राजद नेता लक्ष्मीकांत यादव हत्याकांड. द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में आया फैसला
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11 साल तक सुनवाई के बाद भी कोई नहीं बता पाया हत्यारा कौन, साक्ष्य के अभाव में चार बरी
राजद नेता लक्ष्मीकांत यादव हत्याकांड. द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में आया फैसला कर्ण महोत्सव में शामिल होने जा रहे थे राजद नेता जमीन को लेकर विवाद में राजद नेता की हत्या हाेने की थी आशंका घटनास्थल पर पुलिस को कारतूस चलने के नहीं मिले सबूत भागलपुर : द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत […]
कर्ण महोत्सव में शामिल होने जा रहे थे राजद नेता
जमीन को लेकर विवाद में राजद नेता की हत्या हाेने की थी आशंका घटनास्थल पर पुलिस को कारतूस चलने के नहीं मिले सबूत
भागलपुर : द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में सोमवार को वर्ष 2008 की चर्चित राजद पूर्व जिला अध्यक्ष लक्ष्मीकांत यादव हत्याकांड की सुनवाई में 11 साल बाद फैसला आया. अदालत में सूचक से लेकर घटना के गवाह हत्यारे के बारे में कुछ नहीं बता पाये. पुलिस भी अपनी चार्जशीट में आरोपित पर हत्या का कोई साक्ष्य नहीं पेश कर पायी.
यहां तक की घटनास्थल पर पुलिस को गोली चलने तक के भी कोई सबूत नहीं मिले. अदालत ने आदेश में कहा कि अभियोजन (सरकार की ओर से पक्षकार) धारा 302/34 यानि किसने लक्ष्मीकांत यादव को मारते हुए देखा, यह साबित नहीं कर पाये. साक्ष्य के अभाव में आरोपित दिनेश यादव, ओमप्रकाश यादव, विक्की यादव व चंद्रशेखर यादव को रिहा हो गये. मामले में अपर लोक अभियोजक हरिनंदन प्रसाद सिन्हा तथा बचाव पक्ष से अभयकांत झा व नारायण पाठक ने जिरह किया.
यह था मामला : नाथनगर के नूरपुर बाजार में 23 फरवरी 2008 को पूर्व जिला राजद अध्यक्ष लक्ष्मीकांत, गोपाल भगत के बूथ से शाम करीब 7.40 बजे निकलकर कर्ण महोत्सव में शामिल होने के लिए जा रहे थे. वह बूथ से निकले ही थे कि बाहर में घात लगाये अपराधियों ने उनपर गोलियां तड़तड़ा दाग दीं. गोली उनके सिर और गले में लगी. गोली लगते ही लक्ष्मीकांत वहीं ढेर हो गये. घटना के समय मृतक के कमरे में पिस्तौल थी, लेकिन वह निकाल नहीं पाये. अपराधी तीन की संख्या में थे. घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी आराम से दक्षिणी क्षेत्र की ओर भाग निकले.
परिजनों ने जमीन को लेकर विवाद को बताया था हत्या का कारण : मधुसूदनपुर थाना में मृतक के बेटे समीर कुमार ने शिकायत दी थी कि गोपाल भगत के बुलावे पर उनके पिता घर से निकले और अन्य को पीछे से आने को कहा. उनके मुताबिक, मृतक 40 साल से जवाहर भगत व उनके परिवार की छह बिगहा जमीन पर खेती कर रहे थे. इस जमीन का तीन अंश उन्होंने खरीदा था और छह अंश जमीन का जरमीयाना करा लिया था. जिसकी तीन दिन बाद रजिस्ट्री होनी थी.
आरोपित चंद्रशेखर व अन्य भी जमीन मालिक से उक्त जमीन की अधिक कीमत देकर रजिस्ट्री करवाना चाहता था. जमीन मालिक रामवृक्ष भगत व अन्य भी आरोपित के बहकावे में आ गये थे. इस बात को लेकर मृतक लक्ष्मीकांत व आरोपित चंद्रशेखर के बीच बहस भी हुई थी. घटना से पहले जमीन के मसले पर लक्ष्मीकांत राजद के नगर अध्यक्ष अरुण साव के साथ प्रदीप यादव के घर बरारी में गये थे. जहां से एक कपड़ा दुकान के मालिक को फोन कराया था.
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