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भागलपुर : विक्रमशिला समेत तीन ट्रेनों से हटा दी गयीं महिला व दिव्यांग बोगी
भागलपुर : भागलपुर से खुलने या यहां से गुजरने वाली तीन एक्सप्रेस ट्रेनों में महिला और दिव्यांगों के लिए सीटों की व्यवस्था नहीं है. पहले पुरानी कोचों वाली ट्रेनों में सीटों की व्यवस्था रहती थी, लेकिन इसके एलएचबी कोच में बदले जाने के बाद से उनको यह सुविधा नहीं मिल रही है. जिन ट्रेनों में […]
भागलपुर : भागलपुर से खुलने या यहां से गुजरने वाली तीन एक्सप्रेस ट्रेनों में महिला और दिव्यांगों के लिए सीटों की व्यवस्था नहीं है. पहले पुरानी कोचों वाली ट्रेनों में सीटों की व्यवस्था रहती थी, लेकिन इसके एलएचबी कोच में बदले जाने के बाद से उनको यह सुविधा नहीं मिल रही है. जिन ट्रेनों में महिला और दिव्यांगों के लिए सीटों की व्यवस्था नहीं है, वह विक्रमशिला एक्सप्रेस, यशवंतपुर एक्सप्रेस एवं गया-कामख्या एक्सप्रेस है.
विक्रमशिला एवं यशवंतपुर एक्सप्रेस भागलपुर से खुला करती है, जबकि गया-कामख्या एक्सप्रेस का यहां केवल ठहराव होता है. इसमें पहले पुरानी कोच की ट्रेनों में दिव्यांगों और महिलाओं के लिए बोगियां लगी थीं, उन सभी बोगियां को एलएचबी आने के साथ हटा दी गयी है. इस कारणवश महिलाओं और दिव्यांगों को सफर के दौरान सीटें नहीं मिल पा रही हैं.
इधर, बोगियों के हटाने से महिलाओं और दिव्यांगों को को मिलने वाली आरक्षण कोटे में भी कमी आयी है. इसके चलते लंबी दूरी तक सफर करने वाले आरक्षित श्रेणी के यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि लंबी दूरी की दूसरी ट्रेनों के पुराने कोच में महिलाओं आैर दिव्यांगों के लिए कोच की व्यवस्था है.
कोच में कटौती : जनरल क्लास में सफर करने के लिए मिल रहे चार के बदले केवल दो कोच : विक्रमशिला एक्सप्रेस में पहले चार जनरल कोच हुआ करता था, लेकिन जब से एलएचबी कोच लगा है, तो इसमें दो ही जनरल कोच हैं.
रेलवे की ओर से जनरल कोच की संख्या घटाने से सफर में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. चार कोचों के यात्री दो कोच में सफर करने को विवश होना पड़ता है. जबकि यशवंतपुर एवं गया-कामख्या एक्सप्रेस में चार जनरल कोच हैं और इसका भी रैक एलएचबी कोच का है.
20 से 25 यात्री रोजाना छोड़ देते हैं ट्रेन: चार कोचों के पैसेंजर जब दो कोच में सफर करेंगे, तो इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि जनरल क्लास में भीड़ कैसी रहती होगी. बता दें कि बैठने तक की जगह नहीं मिलती है.
यह देख रोजाना 20 से 25 यात्री स्टेशन पहुंच कर लौट जाया करते हैं. जो कोई हिम्मत जुटा पाते हैं, उनका भी किचकिच के साथ भागलपुर से सफर शुरू होती है.
जानें, क्यों हटाया कोच: एलएचबी कोच के एसएलआर स्ट्रक्चर में परिवर्तन होना इसका कारण बताया जा रहा है. आने वाले दिनों में जरूरतमंदों को यह सुविधाएं मिलेगी या नहीं इस पर भी सवाल हैं.
दर्द आधी आबादी का
आधी आबादी के लिए आरक्षित बोगी नहीं, सफर के दौरान नहीं मिल पा रही सीटें
बोगियों के हटाने से महिलाओं और दिव्यांगों को मिलने वाली आरक्षण कोटे में भी आयी कमी
विक्रमशिला एक्सप्रेस में जनरल कोच भी चार के बदले महज दो, किसी का धक्का-मुक्की के साथ शुरू होता है सफर, ताे कोई लौट जा रहे स्टेशन से
बोले सीपीआरओ
विक्रमशिला व दूसरी एलएचबी कोच की ट्रेनों में महिलाओं और दिव्यांगों के कोच नहीं रहने का कारण का पता लगाया जायेगा. महिलाओं और दिव्यांगों के कोच को फिर से लगाने का कोई उपाय होगा, तो जरूर किया जायेगा. यात्रियों को सुविधा देना ही रेलवे की पहली प्राथमिकता है.
निखिल चक्रवर्ती, सीपीआरओ, इस्टर्न रेलवे, कोलकाता
उठ रहे सवाल, अलग रंग के कोच नहीं
एलएचबी कोच वाली जितनी भी ट्रेनें है, उनका रंग एक समान है. इससे जनरल, स्लीपर व एसी कोचों को पहचानना थोड़ी देर के लिए मुश्किल हो जा रहा है. पुरानी कोचों वाली ट्रेनों में कम से कम जनरल कोच का रंग अलग रहता था, जिससे पहचान करने में दिक्कतें नहीं होती थी.
इधर, जनरल कोच को पहचान कर उसमें बैठने के लिए यात्रियों को पूरा प्लेटफॉर्म पर चक्कर लगाना पड़ जाता है. जनरल में सफर करने वाले यात्रियों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है.
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