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चंपा-जमुनिया के अस्तित्व को बचायेगा वन विभाग, तैयार कर रहा है प्रस्ताव

भागलपुर : पर्यावरण के बिगड़ते हालात का ज्वलंत उदाहरण पेश कर रही सूखती जा रही चंपा व यमुनिया नदी अब सफर के आखिरी दौर पर पहुंची हुई दिख रही है. इसे बचाने पर वन एवं पर्यावरण विभाग विचार कर रहा है. इसके लिए विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजने पर विचार किया है. […]

भागलपुर : पर्यावरण के बिगड़ते हालात का ज्वलंत उदाहरण पेश कर रही सूखती जा रही चंपा व यमुनिया नदी अब सफर के आखिरी दौर पर पहुंची हुई दिख रही है. इसे बचाने पर वन एवं पर्यावरण विभाग विचार कर रहा है. इसके लिए विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजने पर विचार किया है. उम्मीद की जा रही है कि वन विभाग के प्रस्ताव को सरकार से स्वीकृति मिल जाती है और योजना धरातल पर उतर जाती है, तो आपस में एक प्वाइंट पर मिल कर आगे बहनेवाली दोनों नदियों को संजीवनी मिल जायेगी.
भागलपुर में व्यापक पैमाने पर पौधरोपण के लिए जगह की कमी है. लिहाजा विभाग ने यह विचार किया है कि चंपानाला व जमुनिया नदी के किनारे पौधरोपण किये जायेंगे. इससे पहले इन नदियों का सर्वे किया जायेगा और यह तय किया जायेगा कि पौधरोपण की कितनी कतारें होंगी. पौधों की संख्या का आकलन किया जायेगा. इसके बाद प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा जायेगा. पौधों के लग जाने से नदियों के तट पर नमी बनी रहेगी और इन जगहों का उपयोग नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए होने लगेगा.
औषधीय पौधे भी लगाये जायेंगे: चंपा व जमुनिया नदी के किनारे जामुन, अर्जुन आदि के पौधे लगाये जायेंगे. चंपा व जमुनिया का पानी बाढ़ के दौरान ऊपर आ जाता है. जामुन व अर्जुन के पेड़ बाढ़ में भी खुद को बचा लेता है. इसके अतिरिक्त वन विभाग औषधीय पौधे भी लगायेगा, ताकि नदी का पानी इन औषधीय पौधे को शुद्ध करते रहें.
प्रभात खबर लगातार प्रमुखता से उठाता रहा है इन नदियों की दुर्दशा का मुद्दा
इन नदियों में शहर का कचरा फेंकते हैं सब
चंपानाला व जमुनिया की सूखती धारा और शहर से गंगा नदी की विमुख हो चुकी धारा पर प्रभात खबर लगातार समाचार प्रकाशित करता रहा है. इन नदियों में उतरते शहर के बड़े-बड़े गंदे पानी के नाले, नदियों के तट पर फेंके जा रहे शहर के कूड़े पर आज भी रोक नहीं लग पायी है.
छठ में लोग ढूंढ़ रहे थे इन नदियों में पानी
बीते महापर्व छठ से पहले चंपानाला व जमुनिया में लोग पानी की तलाश कर रहे थे. यह बातें अटपटी जरूर लगती है, लेकिन इस सच ने न सिर्फ आमलोग, बल्कि जिला प्रशासन को भी हिलाकर रख दिया था. गत 11 नवंबर को श्रीरामपुर के ग्रामीणों ने जेसीबी लेकर चंपानाला को बांध दिया. इसके बाद नदी में आये ठहराव से पानी की गहराई बढ़ी और हजारों लोग छठ मना सके.
इसी तरह जमुनिया नदी के बूढ़ानाथ व अन्य घाटों पर गंदे पानी और बहुत कम जलस्तर से छठ व्रतियों को भारी मुश्किल उठानी पड़ी थी. प्रशासन को गंगा से टैंकर में जल भर कर जमुनिया के घाटों पर पहुंचाना पड़ा था और व्रती उससे स्नान कर पायी थीं.

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