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फर्जी एजेंसी चिह्नित कर कार्रवाई करने में हो रहे फेल

भागलपुर : फर्जी एजेंसी को चिह्नित कर कार्रवाई करने का विद्युत आपूर्ति प्रमंडल, भागलपुर (पूर्वी) ने फैसला तो लिया और संबंधित एजेंसी को नोटिस भेज कर सात दिनों में ठेका संबंधी लाइसेंस या नवीकरण लाइसेंस जमा करने की हिदायत दी, मगर नोटिस अवधि पूरी होने के बाद पूर्वी डिवीजन यह भूल गया कि एजेंसी को […]

भागलपुर : फर्जी एजेंसी को चिह्नित कर कार्रवाई करने का विद्युत आपूर्ति प्रमंडल, भागलपुर (पूर्वी) ने फैसला तो लिया और संबंधित एजेंसी को नोटिस भेज कर सात दिनों में ठेका संबंधी लाइसेंस या नवीकरण लाइसेंस जमा करने की हिदायत दी, मगर नोटिस अवधि पूरी होने के बाद पूर्वी डिवीजन यह भूल गया कि एजेंसी को नोटिस भेजी है और उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई भी करनी है. फर्जी एजेंसी चिह्नित कर कार्रवाई करने में लगातार विभाग फेल साबित हो रहा है.
पूर्वी डिवीजन ने फिर से 11 अगस्त को नोटिस तैयार कर मेसर्स संजय कुमार व रविश इंजीनियरिंग को भेजा. नोटिस की अवधि पूरी हो गयी है और किसी के कागजात जमा है, तो कोई नहीं. नोटिस के अनुसार हिदायत दी गयी थी कि आपके द्वारा ठेका संबंधी लाइसेंस या नवीकरण लाइसेंस अबतक कार्यालय में जमा नहीं किया गया है. कई बार आग्रह किया जा चुका है, मगर आपके द्वारा ठेका संबंधी लाइसेंस या नवीकरण लाइसेंस जमा नहीं किया गया है.
सात दिनों में लाइसेंस की मूल प्रति व एक-एक अभिप्रमाणित प्रति कार्यालय में जमा करना सुनिश्चित करें. जांचोंपरांत मूल प्रति वापस कर दी जायेगी. तय समय सीमा के अंदर कागजात समर्पित नहीं करने पर कार्यालय की ओर से स्वतंत्र रूप से कार्रवाई की जा सकती है. नोटिस पीरियड में मेसर्स संजय कुमार ने कागजात जमा कर दिया है, लेकिन मेसर्स रविश इंजीनियरिंग ने जमा नहीं किया है. विद्युत आपूर्ति प्रमंडल, भागलपुर (पश्चिमी) ने लगभग डेढ़ माह पहले नोटिस भेज कर हिदायत दी थी, लेकिन जिस किसी ने कागजात जमा नहीं किया, उस पर कार्रवाई करना भूल गया है. इस मामले में पूर्वी डिवीजन के कार्यपालक अभियंता अमित कुमार ने बताया कि कार्य एजेंसी पर कार्रवाई करना है या नहीं, यह हम देखेंगे.
कार्य एजेंसी पर विभाग का नियंत्रण नहीं
बिजली से जुड़े लगभग सभी कार्य किसी न किसी एजेंसी, फॉर्म या कांट्रैक्टर से कराया जाता है. विभाग का कांट्रैक्टर के साथ एग्रीमेंट रहता है. लाइन खींचने से लेकर नया ट्रांसफॉर्मर लगाने तक का काम एजेंसी से लेता है, विभाग का एजेंसी पर नियंत्रण नहीं है. बिजली संबंधित कार्यों की गुणवत्ता से समझौते के खेल में विभाग को रेवेन्यू का नुकसान उठाना पड़ता है और उपभोक्ता अलग से परेशान रहते हैं. इसका ताजा उदाहरण पकड़तल्ला विद्युत उपकेंद्र का पावर ट्रांसफॉर्मर है. इसका इंस्टॉलेशन किसी न किसी एजेंसी से करायी गयी है, मगर यह एक से दो माह में दो-तीन बार जल चुका है. इसके बाद जो पावर ट्रांसफॉर्मर लगा है, उस पर भी संशय है.

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