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आंखें नम कर विदा हुईं माता विषहरी

भागलपुर : तीन दिवसीय विषहरी पूजा उत्सव रविवार को संपन्न हो गया. जिले के विभिन्न मंदिरों में स्थापित तकरीबन 116 प्रतिमाओं का विसर्जन विभिन्न घाटों पर श्रद्धापूर्वक किया गया. कई वर्षों से स्टेशन चौक पर परबत्ती की प्रतिमा की महाआरती की परंपरा निभायी जाती थी, लेकिन प्रशासन की ओर से डीजे बजाने पर प्रतिबंध से […]

भागलपुर : तीन दिवसीय विषहरी पूजा उत्सव रविवार को संपन्न हो गया. जिले के विभिन्न मंदिरों में स्थापित तकरीबन 116 प्रतिमाओं का विसर्जन विभिन्न घाटों पर श्रद्धापूर्वक किया गया. कई वर्षों से स्टेशन चौक पर परबत्ती की प्रतिमा की महाआरती की परंपरा निभायी जाती थी, लेकिन प्रशासन की ओर से डीजे बजाने पर प्रतिबंध से परबत्ती पूजा समिति ने विरोधस्वरूप महाआरती नहीं की और अपने हिसाब से विसर्जन घाट पर प्रतिमा लेकर गये और प्रतिमा विसर्जित कर दिया.
मनसा बिहुला विषहरी केंद्रीय पूजा समिति के पदाधिकारियों ने प्रशासन को दोषी ठहराया. इसे लेकर अन्य पूजा समितियों में भी रोष था. बाद में बारी-बारी से सारी प्रतिमाओं का विसर्जन कर दिया गया. प्रशासन के विरोध में नारे लगाये गये. दिन के 11.15 बजे पहली प्रतिमा का विसर्जन हुआ. स्टेशन चौक से विसर्जन घाट तक सड़क किनारे लगे मेले में छोटी-छोटी दुकानों पर उदासी छायी रही. कोई भी प्रतिमा क्षणिक भी नहीं ठहरी और प्रतिमा के साथ चल रहे श्रद्धालु बिना रुके विसर्जन घाट पहुंचे. दुकानों में सामान यूं ही पड़ा रह गया. इससे दुकानदार भी दुखी दिखे.
शांति की अपील करते रहे केंद्रीय समिति के पदाधिकारी : पूर्व मेयर डॉ वीणा यादव, महासमिति के अध्यक्ष भोला मंडल, महासचिव शशि शंकर राय, उपाध्यक्ष श्यामल किशोर मिश्रा, कार्यालय प्रभारी प्रदीप कुमार, दिनेश मंडल, मो महबूब आलम, प्रकाश चंद्र गुप्ता, तरुण घोष, प्रो एजाज अली रोज आदि पदाधिकारी व सदस्य श्रद्धालुओं से शांति की अपील करते रहे. अध्यक्ष भोला मंडल ने कहा कि प्रशासनिक पदाधिकारी से डीजे बजाने की अनुमति मांगी गयी थी.
कमिश्नर राजेश कुमार ने आश्वासन भी दिया था, लेकिन पुलिस प्रशासन ने रोक लगा दी.
पारंपरिक हथियारों का प्रदर्शन : शोभायात्रा के साथ विभिन्न समिति के साथ आये श्रद्धालुओं ने तलवार, भाला, हॉकी स्टिक आदि पारंपरिक हथियारों का प्रदर्शन किया. हालांकि पहले जैसा करतब दिखाते किसी युवा को नहीं देखा गया.
गाजे बाजे के साथ निकाली गयी विसर्जन शोभायात्रा
नाथनगर. नाथनगर इलाके में स्थापित बिषहरी मां की प्रतिमा का विसर्जन रविवार को भी जारी रहा. नाथनगर, ललमटिया इलाके से कई प्रतिमाओं का विसर्जन रविवार को किया गया. विसर्जन का कार्यक्रम शाम चार बजे से शुरू हो गया, जोकि देर रात तक चला. भक्तों ने मां को विधिपूर्वक पूजा-अाराधना की. महिलाओं ने मां को नम आंखों से विदाई दी और फिर चंपा नदी में विसर्जन कर दिया. विसर्जन शोभायात्रा में आसपास के सैकड़ों लोग जुटे थे.
छिटपुट विवादों के बीच विषहरी पूजा विसर्जन संपन्न
भागलपुर. छिटपुट विवादों के बीच विशहरी पूजा विसर्जन रविवार को संपन्न हो गया. विसर्जन के दौरान कुछ जगहों पर लोग आपस में ही भिड़ गये थे. जिसके बाद पुलिस की मदद से मामले को शांत कराया गया. वहीं विसर्जन के दौरान विसर्जन घाट पर मूर्ति आगे-पीछे करने को लेकर िववाद हो गया. इस बात को लेकर मुंदीचक और खंजरपुर के लोग आपस में भिड़ गए. इसमें सूरज व विशाल नाम का युवक घायल हो गया.
विसर्जन की रफ्तार धीमी, दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु उठाते रहे मेले का लुत्फ
भागलपुर : बिहुला विषहरी की प्रतिमाओं का विसर्जन के लिए मुसहरी घाट तैयार था. पहली प्रतिमा दोपहर 11 बजे परबत्ती की पहुंची और समिति के सदस्यों द्वारा विसर्जित किया गया. इसके बाद से बारी-बारी प्रतिमाएं विसर्जन के लिए पहुंचती रहीं. शाम चार बजे तक विभिन्न इलाके की नौ प्रतिमाएं शांतिपूवर्क विसर्जित हुईं. पुलिस प्रशासन अपनी देखरेख में प्रतिमाओं को विसर्जित करा रही थी. विसर्जन शांतिपूर्वक हो रहा था. मगर, रुक-रुक कर प्रतिमाएं पहुंच रही थी, जिसके चलते विसर्जन में कुछ ज्यादा ही वक्त लग गया.
पिछली बार से इस बार एक साथ चार प्रतिमाओं को विसर्जित करने लायक भी घाट तैयार था. इसके बावजूद विसर्जन लंबे समय तक चला. इधर, जिला प्रशासन के निर्देश के आलोक में घाट पर मुकम्मल व्यवस्था करायी गयी थी. गंगा में आगे जाने से रोकने के लिए रस्सी खींची गयी थी और सतर्क करने के लिए बैनर लगा था. सफाई कर्मियों की दो टीम लगातार काम कर रही थी. एक टीम वार्ड से था, तो दूसरा नगर निगम की विशेष टीम थी.
वार्ड के सभी सफाई कर्मियों को घाट पर लगा दिया गया था. नगर निगम के जलकल अधीक्षक हरेराम चौधरी मजिस्ट्रेट के रूप में अपनी टीम के साथ तैनात थे. वार्ड पार्षद उमर चांद भी सहयोग करने में लगे थे. मगर, वहां मौजूदा लोगों का कहना था कि दोपहर दो बजे तक समिति के कोई भी सदस्य नजर नहीं आये. घाट पर खान-पान से लेकर खिलौने की दुकानें सजी थी. मेला लगा था. विसर्जन के लिए जब कहीं की कोई प्रतिमा घाट पर पहुंचती थी तो अचानक से भीड़ बढ़ जा रही थी. दुकानों पर खरीदार उमड़ पड़ते थे. टुकड़ियों में बंटी पुलिस बल कमान संभाले हुए थे.

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