बेतिया. दीपावली समाप्त होते ही आस्था के महापर्व छठ के लिए बाजार सज गया है. ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्र के लोगों की भीड़ छठ सामग्रियों की खरीदारी करने के लिए बाजार में उमड़ने लगी है. छठ पूजा में बांस से बने सामानों का अपना अलग ही महत्व है. छठ पूजा में उपयोग में आने वाली सामग्री को छठ व्रती बांस से बने दउरा में लेकर छठ घाट जाते हैं, बांस से बने दउरा, सुपली, डगरा की खरीदारी छठ व्रती कर रहे हैं. बाजारों में पीतल के दउरा व सुपली की भी मांग खूब हो रही है. अधिकांश लोगों ने इस धनतेरस में ही पीतल के दउरा व सुपली की खरीदारी कर ली है. मीना बाजार के अंदर और बाहर मुख्य गेट के सामने एक कतार में दउरा, सुपली और डगरा की दुकानें अस्थाई रूप से सज गई हैं. छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री को छठ व्रती दउरा में सजाकर छठ घाट जाते हैं. जिससे सूर्य देवता को अर्ध्य दिया जाता है. सभी तबके के लोग अधिकतर बांस से बने दउरा का ही उपयोग करते हैं. हालांकि संपन्न परिवारों के लोग पीतल के दउरा और सुपली का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके बावजूद भी अधिकतर छठ करने वाले लोग बांस से बने दउरा, सुपली व डगरा का प्रयोग करते हैं. विगत 18 वर्षों से दउरा, सुपली बेचनेवाले वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि छठ पूजा का हम लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है. हमारे समाज के आय का मुख्य स्त्रोत बांस से बने सामानों से होता है. इस वर्ष बांस की कीमतों में वृद्धि, बढ़ी मजदूरी तथा ट्रांसपोर्टेशन के कारण झारखंड और यूपी से आने वाले दउरा और सुपली की कीमतों में थोड़ी वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया कि झारखंड व यूपी से आने वाला बड़ा दउरा 600 से 700 रूपये, मीडियम दउरा 350 से 400 रूपये तथा छोटा दउरा 350 रूपये में बिक रहा है. सीतामढ़ी का डगरा 120 से 200 रूपये, सुपौल की सुपली 100 से 120 रूपये, लोकल सुपली 40 से 50 रूपये, डलिया 30 से 50 रूपये तथा गोपालगंज का छईटा 125 से 250 रूपये की दर से बिक रहा है.
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