बेतिया . इस देश में एक प्रथा चल पड़ी है कि किसी महापुरुष को हम जाति में बांट देते हैं. लेकिन जब हम महापुरुषों के जीवन को ध्यान से देखते हैं तब यह पता चलता है कि उन्होंने जीवन में जो कार्य किया, वह सबके लिए किया. महापुरुषों को जाति में बांटने की पद्धति बंद होनी चाहिए. उपरोक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक रविशंकर ने कही. वें अंबेडकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान एमजेके कॉलेज प्रांगण में उपस्थित स्वयंसेवकों और सामान्य जन को संबोधित कर रहे थे. अंबेडकर जी के जीवन के ऊपर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि अंबेडकर जी को बड़ा बनाने में समाज के विभिन्न वर्गों का योगदान रहा. इसलिए अंबेडकर जी ने नेतृत्व पूरे समाज का किया. उन्हें जाति के चश्मे से देखना एकदम अनुचित है. राष्ट्र के लिए जो समर्पण अंबेडकर जी ने दिखाया वह हम सबके लिए अनुकरणीय है. सनातन के प्रति उनका प्रेम इतना था कि कुछ तत्कालीन कारणों से तंग आकर उन्होंने जब धर्म बदलने की बात की तो किसी अन्य धर्म को नहीं चुना, बल्कि सनातन परंपरा की ही एक शाखा बौद्ध पंथ को अपनाया. तत्कालीन हैदराबाद के निजाम ने उन्हें इस्लाम स्वीकार करने के एवज में पूरा खजाना खोल देने की बात कही थी, लेकिन अंबेडकर जी में राष्ट्र और संस्कृति के प्रति प्रेम कूट-कूट कर भरा था, इसलिए उन्होंने इस्लाम और ईसाइयत दोनों से किनारा किया और सनातन परंपरा के वाहक बने रहे. आज उनका नाम लेकर जो कुचक्र चलाए जा रहे हैं और समाज में जहर बोने का काम किया जा रहा है, यह समाज को तोड़ने का कुत्सित प्रयास है. इस षड्यंत्र को समझने की और उससे सावधान रहने की आवश्यकता है. इधर, इस अवसर पर आयोजित शारीरिक प्रदर्शन कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने दंड, योग, नियुद्ध, व्यायाम योग और पिरामिड का प्रदर्शन किया. विभाग प्रचारक नीतीश कश्यप ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए 2 महीने पूर्व से तैयारी चल रही थी. मौके पर विभाग संघचालक राजकिशोर प्रसाद, जिला संघचालक मंकेश्वर चौरसिया, सह नगर संघचालक रजत मोटानी उपस्थित रहे.
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