नरकटियागंज. न्यू स्वदेशी सुगर मिल्स बाहर की पहली ऐसी चीनी मिल है, जहां रोगु मुक्त गन्ने की बीज से मुख्यमंत्री के गन्ना विकास योजना को बल मिल रहा है. गन्ने की उन्नत खेती को लेकर मिल के लैब में विकसित किये जा रहे गन्ने के बीज को अब एक नया आयाम मिलने वाला है. गन्ना उद्योग विभाग के सचिव बी कार्तिकेयन धनजी के चंपारण दौरे ने चीनी मिलों के साथ साथ गन्ने की खेती करने वाले किसानों में एक नयी उर्जा का संचार कर दिया है. चीनी मिल के लैब में टिश्यू कल्चर लैब क निरीक्षण करने पहुंचे सचिव श्री धनजी ने मिल प्रबंधन से लैब को और अधिक विकसित करने के लिए प्रपोजल मांगा है. निरीक्षण के दौरान मिल के कार्यपालक अध्यक्ष चन्द्रमोहन ने उन्हें जब जैविक खेती और रोग मुक्त गन्ने के बीज को विकसित करने के बारे में अवगत कराया तो सचिव ने कहा कि यह शानदार है. इसे और विकसित करने की जरूरत है. प्रदेश के किसानों के हित में जितना बेहतर हो सकता है, करने की जरूरत है. सरकार पीछे नही हटेगी. कार्यपालक अध्यक्ष ने बताया कि वर्ष 2007 में लैब की नींव रखी गयी. उस समय सरकार की ओर से 30 लाख रूपये का अंशदान मिला था. बाकी राशि मिल की ओर से खर्च कर लैब की आधारशिला रखी गयी.आज हरेक वर्ष पांच लाख से अधिक रोग मुक्त गन्ने का बीज विकसित किया जा रहा है. उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगायी. इस पर सचिव ने कहा कि लैब को डेवलप कीजिए. सरकार हर संभव मदद देगी. सरकार किसानो को अधिक से अधिक लाभान्वित कर सके. इसी पर काम किया जा रहा है. वही चीनी मिल के गन्ना अनुसंधान विभाग के कार्यपालक उपाध्यक्ष पीके गुप्ता ने सचिव को लैब में जैविक खाद, कीटनाशक, उर्वरा शक्ति बढ़ाने वाली दवाओ, सॉयल टेस्ट आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी. सचिव भी लैब की खूबियों को देख जानकारी लेते रहे. मौके पर संयुक्त ईखायुक्त जयप्रकाश नारायण सिंह, असिस्टेंट डायरेक्टर आईपीआरडी पूजा कुमारी, केन आफिसर रेमंत कुमार झा व श्रीराम सिंह, चीनी मिल के कार्यपालक उपाध्यक्ष राजीव कुमार त्यागी, केएस. ढाका, लैब के राजेश कुमार यादव, संदीप मिश्र, राहुल राठी आदि मौजूद रहे. एक आंख से तैयार होता गन्ने का रोग मुक्त बीज टिष्यू कल्चर लैब में एक आंख वाली गन्ने की बीज को विकसित कर रोग मुक्त बनाया जाता है. इस बीज से गन्ने में होने वाली लालसड़न रोग, कंडुवा रोग, सूखा रोग, घासा प्ररोह लालधारी रेडस्ट्रा जैसी गंभीर गन्ने की बीमारियां नहीं होती. यहीं नहीं पश्चिमी चंपारण जिले के अलावा गोपालगंज, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण के किसान गन्ने की इन बीजों को लगाने के लिए उत्सुक हैं. टिश्यू कल्चर लैब से बीज लेकर नगर से सटे बरवा जमुनिया गांव के किसान प्रभु पटेल के दो एकड़ में लगी गन्ने की फसल इस बार 14 सौ क्वींटल हुई. ये रिकार्ड रहा. अमूमन एक एकड़ में गन्ने की पैदावार 300 से 400 क्वींटल आंकी जाती है. प्रभु पटेल बताते हैं कि उन्होंने चीनी मिल के विकसित गन्ने का बीज लिया, रोग मुक्त होने के कारण जहां पैदावार अधिक हुई. वही दवा पर खर्च शून्य रहा. जमुनिया के ही अकबर मियां, प्रदीप मिश्र, नागेश्वर साह, सत्यनारायण कुशवाहा, ददन साह सरीखे छोटे छोटे किसान भी शामिल हैं. तो जमुनिया गांव से सटे केन्द्रीय मंत्री सतीश चन्द्र दुबे के अग्रज प्रदीप दुबे, सुअरछाप के अनिल राव, सौराहा के रामयश यादव, विरती मटियरिया के गंगा चौधरी जैसे किसानों ने टिश्यू कल्चर लैब के बीज से गन्ने की खेती कर एक अलग कीर्तिमान बना डाला है.
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