बीहट. बीहट नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर-23 में बीते एक महीने से बारिश का पानी जमा है. इससे लगभग 500 परिवारों का जीवन प्रभावित हो गया है. स्थिति इतनी बिगड़ गयी है कि पूरे मोहल्ले में डेंगू और मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. बताते चलें कि पिछले वर्ष इसी गली-मोहल्ला में डायरिया का प्रकोप से तीन-चार लोगों की मौत हो गयी थी और आधा दर्जन लोगों का इलाज बरौनी पीएचसी से लेकर सदर अस्पताल में किया गया था. इससे बचने के लिए लोग रिश्तेदारों के यहां पलायन तक कर गये थे. लगता है नगर प्रबंधन ने इस घटना से सबक नहीं लिया है. वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि वह रोजाना इसी जमा बदबूदार पानी से होकर आते-जाते हैं, लेकिन पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. यह एक बानगी भर है, पूरे नगर परिषद क्षेत्र का कमोबेश यही हाल है. नगर प्रबंधन कान में तेल डालकर सोया हुआ है. एक दिन भी न तो डीडीटी पाउडर का छिड़काव हुआ है और न ही फाॅगिंग. प्रबंधन की उदासीनता के कारण शहर वासियों को परिणाम निश्चित रूप से भुगतना पड़ेगा. वार्ड-23 के पार्षद प्रतिनिधि नारायण सिंह ने कहा कि दास टोला के मुख्य द्वार पर हमेशा जल जमाव की समस्या को लेकर नगर परिषद का ध्यान आकृष्ट कराता रहा हूं. व्यवस्था के लिए कई बार लिखित में दिया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. विदित हो कि जगह और नाला नहीं होने की वजह से दास टोला के लोग घरों का गंदा पानी और कचरा एनएच पर फेंकने को बाध्य हैं.
नगर क्षेत्र में बढ़ा मच्छरों का प्रकोप
बरसात से पहले और बाद के दिनों में शहर में मच्छरों का आतंक बढता जा रहा है. जानलेवा मच्छरों के प्रकोप से बचाव को लेकर नगर परिषद प्रशासन अब तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं कर सकी है और न ही जमीनीं स्तर पर कोई कदम उठायी गयी है. इसके डंक से बचने के लिए शहरवासी दिन में भी बचाव को लेकर मशक्कत कर रहे है. नगर प्रशासन द्वारा मच्छरमार दवा का छिड़काव नहीं कराया गया. ऐसी स्थिति में छिड़काव वाली फाॅगिंग मशीन गोदाम में पड़ी धूल फांक रही है. मच्छरों के बढते डंक के कारण डेंगू,चिकनगुनिया जैसे रोगों के फैलने का डर लोगों को सता रहा है. यदि नगर परिषद में साफ-सफाई में लापरवाही हुई तो जल जमाव और बजबजाते नालियों में पनपते मच्छर से कब दास टोला के घटना की पुनरावृति हो जाय, कहना मुश्किल है.डेंगू हो जाने पर इलाज में धन के साथ जान भी गंवाने का भय
डेंगू की चपेट में आने के बाद इलाज में धन के साथ-साथ जान भी गंवाने का भय बन जाता है. बताया जाता है कि शहर के नालियों में भरी गाद के कारण सड़कों पर बहता पानी और गड्ढों में जलजमाव व गंदगी के कारण मच्छरों की संख्या में इजाफा हो रहा है.अगर नगर परिषद प्रशासन द्वारा फाॅगिंग मशीन से दवा का छिड़काव होता तो खतरनाक मच्छरों का लार्वा बड़ी संख्या में नष्ट होते और मच्छरों के प्रकोप से लोगों को राहत मिलता. शहर में एक बार दवा का छिड़काव होने पर इसका असर मच्छरों के ऊपर 24 घंटे तक रहता है. साथ ही खतरनाक एडिप मच्छरों का लावा पनपने से पहले ही नष्ट हो जाता है. शहरवासियों का कहना है कि शहर की स्वच्छता और गंदगी से निजात दिलाने के लिए नगर परिषद प्रशासन को तत्पर रहना चाहिए. विभिन्न टोला-मोहल्ला के लोगों ने जलजमाव के बारे में पूछने पर बताया कि कहीं एक जगह हो तो बताया भी जाय.हर जगह कमोबश एक ही स्थिति है. बरसात के दिनों में तो नारकीय स्थिति बन जाती है. मोहल्लों में बरसात का पानी जमा होने से ज्ञच्छरों के पनपने का डर बना रहता है और मच्छरजनित बीमारियां फैलने की आशंका बनी रहती है. नगर परिषद प्रशासन नाला-नालियों के सफाई करने का दावा तो कर रही है, लेकिन दवा छिड़काव के नाम पर बगले झांकने लगती है. वहीं चुनाव से पहले सबकुछ ठीक करने का वादा करने वाले पार्षद भी हाथ पर हाथ धरे मुंह बाये नगर प्रशासन की ओर देख रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

