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सिमरिया में गंगा स्नान करने आये दो युवक डूबे, एक का शव बरामद

चकिया ओपी क्षेत्र अंतर्गत सिमरिया घाट में शुक्रवार की सुबह स्नान करने के क्रम में डूबने से दो युवकों की मौत हो गयी. इसमें से एक युवक का शव सात घंटे के अथक प्रयास के बाद स्थानीय गोताखोरों व एसडीआरएफ की मदद से निकाल लिया गया.

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बीहट. चकिया ओपी क्षेत्र अंतर्गत सिमरिया घाट में शुक्रवार की सुबह स्नान करने के क्रम में डूबने से दो युवकों की मौत हो गयी. इसमें से एक युवक का शव सात घंटे के अथक प्रयास के बाद स्थानीय गोताखोरों व एसडीआरएफ की मदद से निकाल लिया गया. मिले शव की पहचान नगर परिषद बीहट के शिवस्थान वार्ड-22 निवासी कुंदन कुमार के करीब 18 वर्षीय पुत्र आदित्य कुमार के रूप में की गयी है. शव मिलते ही तेज धूप और उमस के बीच घाट को एकटक निहारते परिजनों की आंखों से आंसू बह निकले. उनके चीत्कार व करूण विलाप से मौजूद लोगों की आंखें भी भर गयी. रोते हुए परिजनों ने बताया कि दो दिन पहले ही उसका जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाया गया था.

चकिया ओपी क्षेत्र के सिमरिया घाट पर हुआ हादसा, परिजनों में मातम

घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार, वह अपने चाचा बमबम कुमार के साथ बाइक से गंगा स्नान करने सिमरिया घाट पहुंचा था. चाचा-भतीजा साथ ही नहा रहे थे. इसी दौरान वह गहरे पानी में चला गया और देखते ही देखते डूब गया. शव प्राप्ति के बाद चकिया पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम हेतु सदर अस्पताल भेज दिया. वहीं समाचार प्रेषण तक मटिहानी थाना क्षेत्र के चकबल्ली वार्ड-3 निवासी नरेन्द्र राय के करीब 22 वर्षीय पुत्र शुभम कुमार का शव नहीं मिल पाया है. शव की खोज जारी है. शुभम के परिजनों ने बताया कि नहाने और गंगा जल लाने के लिए वह अपने गांव के ही तीन दोस्तों के साथ सिमरिया गया हुआ था. नहाने के क्रम में ही वह डूब गया. उसके दोस्तों ने फोन पर घटना की जानकारी दी. उसके बाद ग्रामीण और परिजन सिमरिया घाट पहुंचे.

एसडीआरएफ के प्रति लोगों में दिखा आक्रोश

दरअसल शुक्रवार की सुबह आधे घंटे के अंदर एक ही घाट पर दो युवक गंगा स्नान के दौरान डूब गये. प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले शुभम कुमार के परिजनों ने एसडीआरएफ को घटना की जानकारी देकर बचाव कार्य चलाने की गुहार लगायी. परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि आवेदन देने-लेने और ऊपर से आदेश लेने की बात बताकर करीब एक घंटे की देरी से एसडीआरएफ घटनास्थल पर पहुंची और एक-दो चक्कर लगाने के बाद बोट में तेल नहीं और सिलेंडर में गैस नहीं है की बात कहकर बचाव कार्य बंद कर दिया. इसी दौरान डूबने की दूसरी घटना घट गयी .इसके बाद एसडीआरएफ की संवेदनहीनता पर लोगों में गुस्सा फूट पड़ा. इस दौरान एसडीआरएफ के एसआइ राजकुमार सिंह आक्रोशित लोगों के निशाने पर रहे. लोगों ने आरोप लगाते हुए बताया कि रबर बोट पर मौजूद एसडीआरएफ जवानों के सामने ही कुछ दूरी पर डूब रहा था लेकिन इनलोगों ने बचाने के लिए कोई जतन नहीं किया. वहीं सदर एसडीओ की पहल पर दो घंटे बाद सिलेंडर में ऑक्सीजन रिफिल कर मंगाया गया तब जाकर गोताखोर पानी के अंदर उतर कर खोजना शुरू किया.

घटना की सूचना पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों में मचा हड़कंप

घटना की सूचना पाते ही पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों हड़कंप मच गया. मामले की जानकारी पाते ही सदर एसडीओ राजीव कुमार, नगर परिषद बीहट के कार्यपालक पदाधिकारी कृष्ण स्वरूप, बरौनी सीओ सूरजकांत समेत चकिया थानाध्यक्ष नीरज कुमार चौधरी दल-बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और चल रहे आपदा कार्य की जानकारी ली. वहीं तेघड़ा विधायक रामरतन सिंह भी घटनास्थल पर पहुंचे. आक्रोशित लोगों ने एसडीआरएफ की कार्यशैली और व्यवस्था की जानकारी देकर उन्हें तत्काल हटाने की मांग करते हुए स्थानीय गोताखोरों को पूर्व की भांति फिर से बचाव कार्य के लिए बहाल किये जाने की बात कही. स्थानीय विधायक ने भी एसडीआरएफ की संवेदनहीनता पर गहरी नाराजगी प्रकट की.

मृतकों के परिजन नम आंखों से निहारते रहे गंगा घाट को

इस हृदयविदारक घटना के बाद सिमरिया घाट पहुंचे दोनों पीड़ित परिवार के परीजन व ग्रामीण नम आंखों से युवकों के शव के बरामद होने की दुआ करते रहे.

एसडीआरएफ की जगह स्थानीय गोताखोर को लगाने की मांग

जिस तत्परता और जीवटता से स्थानीय गोताखोरों ने आज अपना काम किया है उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम होगा.बचाव कार्य के दौरान लोगों को किसी देवदूत से कम नहीं दिखा सिमरिया घाट के स्थानीय गोताखोरों का दल. परंतु आपको जानकर हैरत होगी कि यही प्रशासन द्वारा आपके सेवा की जरूरत नहीं कहकर उन्हें मुक्त कर दिया गया था. दरअसल जब से सिमरिया में एसडीआरएफ वालों की प्रतिनियुक्ति हुई है तबसे इनके गर्दन पर इन आउट की तलवार लटकने लगी है, जबकि पानी में डूबकर मरने वाले का शव मिलने पर आपदा प्रबंधन की तरफ से पीड़ित परिवार को चार लाख की राशि दी जाती है. लेकिन बिडंबना है कि वही जिला प्रशासन किसी मद से इन गोताखोरों को नियमित भुगतान भी नहीं कर पाती है. कोई इस एसडीआरएफ वालों से भी प्रतिनियुक्ति के बाद से शवों को खोजने सबंधी आंकड़ों की जानकारी ले तो पता चलेगा कि अब तक अधिकांश मामलों में विफल ही रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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