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124 वर्षों से पूजित हो रहा है विष्णुपुर का पुरानी दुर्गा मंदिर, शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है माता का दरबार

बेगूसराय जिले के विष्णुपुर लाल बाजार चौक पर स्थित श्रीश्री 108 पुरानी दुर्गा मंदिर अपनी भव्यता और आस्था के कारण पूरे इलाके में शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है.

बेगूसराय. बेगूसराय जिले के विष्णुपुर लाल बाजार चौक पर स्थित श्रीश्री 108 पुरानी दुर्गा मंदिर अपनी भव्यता और आस्था के कारण पूरे इलाके में शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है. सन 1902 में स्थापित इस मंदिर में पिछले 126 वर्षों से लगातार पूजा-अर्चना हो रही है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जिन मंदिरों की स्थापना को 100 वर्ष से अधिक हो जाते हैं, उन्हें शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त हो जाता है. इसी कारण यहां स्थापित दुर्गा माता को भक्तजन बूढ़ी माता कहकर पुकारते हैं. भक्तों का मानना है कि माता यहां साक्षात विराजमान होकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. हर साल प्रतिमा का स्वरूप होता है एक जैसा : मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हर साल मुंगेर के कारीगरों द्वारा माता की प्रतिमा का निर्माण किया जाता है. मूर्तिकार चाहे कोई भी रूप दें, लेकिन प्रतिमा का अंतिम स्वरूप हमेशा एक जैसा ही निकलता है. भक्त इसे माता की अनोखी लीला मानते हैं. मंदिर परिसर में प्रतिदिन सुबह और शाम को आरती होती है. खासकर शाम की आरती में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ता है. आसपास के गांवों की महिलाएं बड़ी संख्या में इसमें शामिल होती हैं. दुर्गापूजा के अवसर पर जगरना के दिन देर रात माता का पट खोला जाता है. उस समय हजारों की भीड़ माता के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में उमड़ पड़ती है.

दुर्गा पूजा की तैयारियां जोर-शोर से हो रही है : हर साल दुर्गापूजा समिति की ओर से भव्य पंडाल सजाया जाता है. इस बार भी दूधिया रोशनी से पूरे पंडाल को सजाया जा रहा है. 126 वर्षों की निरंतर पूजा-अर्चना के साथ यह मंदिर आज न केवल विष्णुपुर बल्कि पूरे बेगूसराय और आसपास के जिलों में आस्था का प्रमुख केंद्र बन चुका है. बूढ़ी माता के इस शक्तिपीठ में श्रद्धालु विश्वास के साथ अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और माता सबकी झोली भरती हैं. समिति के अध्यक्ष विश्वनाथ दास कहते हैं कि हर साल हम पंडाल को विशेष सजावट से सुसज्जित करते हैं. इस वर्ष भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है. समिति के सदस्य आशीष सिन्हा कहते हैं कि मैं कई वर्षों से इस मंदिर में कार्य कर रहा हूं. हम कार्यकर्ता दिन-रात मेहनत करते हैं ताकि पूजा के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई न हो.

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