बेगूसराय. भारत का महान योद्धा वीर शिरोमणि, स्वाभिमानी महाराणा प्रताप की जयंती आइटीआइ मैदान पनहास के प्रांगण में मनायी गयी. इस क्रम में बाइट कंप्यूटर के निदेशक संजय कुमार सिंह, वार्ड पार्षद गौरव सिंह राणा, मनोज सिंह, नीरज कुमार सिंह, शिवम सिंह राजपूत, गौतम कुमार, गणपत कुमार, मोहित कुमार, लखन कुमार,गौरव कुमार, दिनकर कुमार, अभिनाश कुमार, निलेश कुमार, चिकू कुमार, अनिकेत कुमार, कुंदन कुमार सहित सैकडो लोगों के द्वारा बारी बारी से महाराणा प्रताप के तैल्य चित्र पर माल्यार्पण किया गया. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप अमर रहे के नारों से आटीआइ मैदान गूंज उठा. माल्यार्पण के उपरांत वहां उपस्थित संजय कुमार सिंह ने कहा कि देश प्रेम और सामाजिक समरसता के प्रतीक थे महाराणा प्रताप. उनके सेना में भील जाति के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. दानवीर योद्धा भामाशाह के द्वारा दी गयी आर्थिक मदद को यह देश कभी नहीं भूल सकता है. महाराणा प्रताप एक वीर योद्धा थे. जिसने मुगलों के आगे घुटने नहीं टेके. उनकी लड़ाई देश के दुश्मनों से थी किसी जाति विशेष से नहीं. उस समय मुगल अकबर ने मेवाड़ राजस्थान को गुलाम बनाना चाहा जिसको लेकर हल्दीघाटी युद्ध महाराणा प्रताप और अकबर में छिड़ा. जिसमें महाराणा प्रताप ने अकबर को हराया था. वहां मौजूद वार्ड पार्षद गौरव राणा ने कहा कि आज के युवाओं को महाराणा प्रताप से प्रेरणा लेने की जरूरत है. प्रताप ने महल को त्यागकर जंगल जंगल घूमकर घांस की रोटी खाना पसंद किया, लेकिन मुगल बादशाह अकबर के सामने घुटने नहीं टेके. उन्होंने अपने अंदर स्वाभिमान को जिंदा रखा. महाराणा प्रताप ने समाज के सभी वर्गों को एक जुट कर साथ लेकर चलने का काम किया. समाज में समरस्ता कायम किया.
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