बखरी. बुधवार को बखरी पीएचसी प्रसार में विश्व स्तनपान दिवस को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया.जिसमें उपस्थित महिलाओं को जानकारी देते हुए बताया गया कि यह हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में विश्व स्तनपान सप्ताह 1-7 अगस्त मनाया जाता है.जिसका उद्देश्य शिशुओं को कुपोषण से बचाना और उनके मानसिक-शारीरिक विकास को बढ़ावा देना है.इस कैंपेन का लक्ष्य समाज,ऑफिस और सरकारी नीतियों में ऐसी व्यवस्थाएं बनाना है जो माताओं को स्तनपान के लिए समर्थन दें. बोतलबंद दूध के नुकसान के बारे में जागरूकता और कार्यस्थलों पर सहायता प्रदान भी इसका मुख्य हिस्सा है. जो 2025 की थीम पर्यावरण और मातृ स्वास्थ्य को जोड़ती है.इस बाबत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दीपक कुमार सिंह ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार,स्तनपान दरों में सुधार से हर साल 8,20,000 से ज्यादा बच्चों की जान बचाई जा सकती है.उन्होंने कहा कि शुरुआती वृद्धि और विकास के इस महत्वपूर्ण दौर में स्तन के दूध में मौजूद एंटीबॉडी शिशुओं को बीमारी और मृत्यु से बचाती हैं.यह आपात स्थिति के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है,जब स्तनपान शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए एक सुरक्षित, पौष्टिक और सुलभ भोजन स्रोत की गारंटी देता है.साथ ही माताओं के लिए कुछ प्रकार के कैंसर और गैर-संचारी रोगों के जोखिम को भी कम करता है.भारत में इस पूरे सप्ताह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कर्मी माताओं को स्तनपान के फायदे को बताने का काम करेंगे. यह सिर्फ शिशुओं और माताओं के लिए ही नहीं,बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है.स्वास्थ्य प्रबंधक सुरेंद्र कुमार ने बताया स्तनपान बच्चों को स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा तरीका है.यह शिशुओं को पोषण और रोगों से लड़ने की ताकत देता है.जिससे दस्त और निमोनिया जैसी बीमारियों से बचाव होता है.साथ ही,यह माताओं में स्तन कैंसर,डिम्बग्रंथि कैंसर और टाइप-2 मधुमेह का खतरा कम करता है. मौके पर डॉ राजेश कुमार,अंकुर कुमार,रणधीर कुमार,प्रभात कुमार,एएनएम नीतू कुमारी, किरण कुमारी समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी व महिलाएं मौजूद थीं.
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