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जेल में आस्था के बीच मना छठ पर्व
आस्था की दहलीज पर टूटी मजहब की दीवार 21 महिलाएं व 25 पुरुष बंदी ने रखे व्रत अजीत नीमाचांदपुरा : सच्ची आस्था हो, तो मजहब भी बाधक नहीं बनता. कुछ इसी तरह का नजारा मंडल कारा (जेल) बेगूसराय में देखने को मिला. जेल में बंद दो मुसलिम महिलाओं ने छठ व्रत कर यह साबित कर […]
आस्था की दहलीज पर टूटी मजहब की दीवार
21 महिलाएं व 25 पुरुष बंदी ने रखे व्रत
अजीत
नीमाचांदपुरा : सच्ची आस्था हो, तो मजहब भी बाधक नहीं बनता. कुछ इसी तरह का नजारा मंडल कारा (जेल) बेगूसराय में देखने को मिला. जेल में बंद दो मुसलिम महिलाओं ने छठ व्रत कर यह साबित कर दिया है कि आस्था की न कोई जाति होती है और न कोई धर्म होता है.
जब पूरे जिले, राज्य व देश के कई हिस्से में लोग छठ पर्व मना रहे थे, तो वैसे समय में मंडल कारा भी छठ गीत की गूंज से दूर नहीं रही. मंडल कारा के 25 पुरुष व 21 महिला बंदियों ने पूरी आस्था व नियम निष्ठा के साथ छठ महापर्व मनाया. रविवार की शाम अस्ताचलगामी व सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ के साथ चार दिवसीय छठ का अनुष्ठान संपन्न हो गया. मंडल कारा के अंदर इन बंदियों की इस भक्ति में कारा प्रशासन भी पूरी तन्मयता के साथ शरीक हो गया था. इस दौरान व्रतियों ने दंडवत प्रणाम कर सूर्य भगवान को अर्घ दी.
मुसलिम महिलाओं में दिखी छठ की छटा : बेगूसराय मंडल कारा में आस्था की दहलीज पर मजहब की दीवार को तोड़ते हुए मुसलिम समाज की दो महिला बंदी लालो खातून और आसमा खातून ने छठ व्रत रखा. आसमा खातून कहती है कि अपने बच्चों एवं परिवार की उज्ज्वल भविष्य के लिए छठ मैया का व्रत रखती हूं. छठी मइया की अाराधना में लीन रही व चार दिवसीय अनुष्ठान कैसे गुजर गया, कुछ पता नहीं चल सका. लालो खातून भी कुछ ऐसी बातें कहीं. मुसलिम महिलाओं के द्वारा रखी गयीं छठ की छटा देखते बन रही थी. आस्था की इस मिसाल चर्चा चहुंओर हो रही है.
व्रतियों की सेवा में मुस्तैद रहे जेल प्रशासन : मंडल कारा छठ गीतों से गुंजायमान होता रहा. मंडल कारा में सभी व्रतियों के लिए जेल प्रशासन सभी सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए मुस्तैद रहा.
सभी को पूजा की सामग्री व वस्त्र भी मुहैया कराया गया. पूरा कारा परिसर में छठ पर्व के दौरान भक्तिमय माहौल बना हुआ था. कारा के अंदर जहां महिला बंदियों के द्वारा छठपूजा के पारंपरिक गीत गाये जा रहे थे, वहीं पुरुष बंदियों ने भी भगवान भास्कर की अाराधना करते हुए अर्घ दिया. जेल प्रशासन के द्वारा महिला और पुरुष बंदियों के लिए तालाब बनाया गया था, जिसमें रोशनी व सजावट भी की गयी थी.
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