– विपिनकुमारमिश्र–
विकास कार्य नहीं होने से अपमानित महसूस कर रहे हैं जनप्रतिनिधि
बेगूसराय (नगर) : तेघड़ा नगर पंचायत के गठन के लगभग आठ माह बीत गये, लेकिन आज तक नगर पंचायत की जनता को इसका लाभ नहीं मिल पाया. नतीजा है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि जनता की भावना पर खड़ा नहीं उतरते देख अपने को अपमानित महसूस कर रहे हैं.
दो–तीन वर्षो तक कोर्ट के चक्कर में नगर पंचायत का गठन नहीं हो पाया. अब गठन हुआ भी है तो तेघड़ा की जनता शासन व प्रशासन की उपेक्षा का शिकार बनी हुई है. बताया जाता है कि पिछले तीन वर्षो से तेघड़ा की जनता को न पंचायत का लाभ मिला और न ही नगर पंचायत का.
विकास के लिए टकटकी
जनता विकास के लिए टकटकी लगाये हुए है. जनता का कोपभाजन जनप्रतिनिधियों को बनना पड़ रहा है. तेघड़ा नगर पंचायत को एक कर्मठ अधिकारी की जरू रत है, जो नगर पंचायत के कार्यो में रुचि लेकर इसके विकास का काम देख सके. बताया जाता है कि जन्म–मृत्यु प्रमाणपत्र से लेकर किसी भी तरह की योजना का लाभ नगर पंचायत कार्यालय से कार्यान्वित नहीं हो पायी है.
गरीबों को राशन–केरोसिन योजना का लाभ भी नगर पंचायत से नहीं मिल रहा है. बताया जाता है कि नगर पंचायत के अंतर्गत जितनी भी जन वितरण प्रणाली है, उसमें आम जनता को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
राशन–केरोसिन लेने में दिक्कत
एक वार्ड से दूसरे वार्ड के लोगों को जन वितरण प्रणाली में सामान उठाने हेतु जाना पड़ता है, जबकि सभी वाडरे में जन वितरण प्रणाली का गठन होना अनिवार्य है. नगर पंचायत क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों में भ्रष्टाचार है. कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र हैं जो अपने निर्धारित स्थान पर नहीं चल कर दूसरे स्थानों पर चल रहे हैं. नतीजा है कि सही प्रकार से कुपोषित बच्चों को अनाज का वितरण नहीं हो रहा है.
ताज्जुब की बात यह है कि नगर पंचायत तेघड़ा का लिखित आदेश के बावजूद कोई भी विभाग उनके आदेशों पर कार्य करने के लिए तैयार नहीं होते हैं और न ही जनप्रतिनिधियों की बात सुनते हैं.
मरीजों को होती है परेशानी
तेघड़ा नगर पंचायत क्षेत्र में स्वास्थ्य केंद्र पर कोई भी समुचित व्यवस्था नहीं है. किसी भी तरह के मरीज के पहुंचने पर उसे बेगूसराय रेफर कर दिया जाता है. शिक्षा के क्षेत्र में भी स्कूलों का बुरा हाल है. शिक्षक या प्रधानाध्यापक कोई भी समय पर नहीं आते हैं. तेघड़ा क्षेत्र में 10 जलमीनार बन कर तैयार हैं, लेकिन उससे आज तक नगर पंचायत को जल की आपूर्ति नहीं की जाती है.
यहां बिजली विभाग की भी बदतर स्थिति है. जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि विभाग के पदाधिकारी कार्य का निष्पादन तो दूर, जनप्रतिनिधियों का फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझते हैं. बताया जाता है कि तेघड़ा नगर पंचायत को एजी कोड नहीं मिलने के कारण विकास की राशि लौट गयी थी.
अब पटना के कार्यालयों का चक्कर लगाने के बाद कोड मिला है तो राशि ही उपलब्ध नहीं है. इन सभी समस्याओं को लेकर तेघड़ा नगर पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधि शासन व प्रशासन को भी अवगत करा चुके हैं. लेकिन, अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का मनोबल टूट चुका है.
क्षेत्र में विकास नहीं होने से जनप्रतिनिधियों को ही जनता का कोपभाजन बनना पड़ता है. इन तमाम बिंदुओं को लेकर तेघड़ा नगर पंचायत के अधिकांश पार्षद सामूहिक रू प से इस्तीफा देने का मन बना रहे हैं.