छौड़ाही : दर्द एक हो तो बताएं हुजूर, यहां तो दर्द का समां बधां है. कोई कुछ सुनने और देखने को तैयार नहीं है. आसमान से बरसते आग के गोले के बीच अंचल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराये गये राहत नाकाफी है. महज गज भर पॉलीथिन सीट की टुकड़े देकर अग्निपीड़ितों को सिर छुपाने की व्यवस्था कर अंचल प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारियों का इतिश्री कर लिया. यह हाल है सहुरी पंचायत के पुरपथार गांव में विगत दिनों दलित टोले में अग्निपीडि़तों का.
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राहत सामग्री के लिए पीिड़तों ने किया हंगामा
छौड़ाही : दर्द एक हो तो बताएं हुजूर, यहां तो दर्द का समां बधां है. कोई कुछ सुनने और देखने को तैयार नहीं है. आसमान से बरसते आग के गोले के बीच अंचल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराये गये राहत नाकाफी है. महज गज भर पॉलीथिन सीट की टुकड़े देकर अग्निपीड़ितों को सिर छुपाने की व्यवस्था […]
जहां बिस्कुट फैक्ट्री की चिनगारी से लगी आग ने पल भर में दलित टोले के दर्जन भर से अधिक परिवार को खुले आसमान के नीचे जीने को विवश कर दिया है.अगलगी की घटना के बाद मौके पर पहुंचे अंचलाधिकारी ने पीड़ितों को हरसंभव सहायता दिया . लेकिन पीड़ितों को गज भर पॉलीथिन शीट के अलावा और कुछ नहीं मिला.
वाजिब सरकारी आपदा से अग्निपीडि़तों को उपलब्ध करायी जानेवाले सामग्री नहीं मिल पाना कहीं न कही अंचल प्रशासन का पीडि़तों के प्रति नकारात्मक रवैये को परिलक्षित करता है. बताते चलें कि विगत दिनों छह मई को पुरपथार गांव में बिस्कुट फैक्टरी से उठी चिनगारी ने दलित बस्ती के दर्जन भर परिवार को उजाड़ कर खुले आसमान के नीचे ला दिया था.
अग्निपीडि़त तकरीबन चौदह किलोमीटर पैदल चलकर छौड़ाही अंचल पहुंच कर राहत सामग्री के लिए जमकर हंगामा किया. हंगामे को देखते हुए सीओ ने गज भर पॉलीथिन शीट देकर कुछ राहत सामग्री की व्यवस्था किये बगैर कार्यालय से निकल गये.
छौड़ाही अंचल पहुंच हंगामा कर रही वार्ड सदस्य के पति सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत पासवान के नेतृत्व में दलित महिला जगिया देवी,भोला देवी,लक्षमी देवी, उषा देवी, शबनम देवी,पिंकी देवी,रीता देवी, निर्मला देवी, मुनमुन देवी, रूबी देवी, जगतारण देवी, कविता देवी का कहना था कि हमलोगों को कोई उपाय नहीं है.
तीन दिन से खुले आसमान के नीचे रहने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है. सरकारी राहत के नाम पर जब हमलोग अंचल आये हैं तो पॉलीथिन शीट देकर सीओ कार्यालय छोड़कर निकल गये हैं. पीड़ितों ने गांव के बगल में चल रहे बिस्कुट फैक्ट्री को बंद करने और सरकारी स्तर से उपलब्ध कराये जानेवाले राहत सामग्री की व्यवस्था करवाने की मांग की.
छह हजार रुपये की सामग्री देने का है प्रावधान
छह हजार रुपये का तात्कालिक सामग्री अग्निपीड़ित परिवार को सरकारी स्तर से दिये जाने का प्रावधान है. जिसमें पॉलीथिन सीट के अलावा नकद राशि और कुछ समाग्री दिया जाना रहता है.अग्निपीडि़तों को इस तरह की सुविधा अविलंब मुहैया कराने का निर्देश सीओ को दिया जा रहा है.
दुर्गेश कुमार, एसडीएम मंझौल
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